देहरादून: राज्य के सफाई कर्मचारियों ने उनकी लंबित मांगों को लेकर शनिवार शाम गांधी पार्क से घंटाघर स्थित बाबा साहेब डॉ भीम राव अंबेडकर की मूर्ति तक एक पैदल मार्च निकाला। यह मार्च सफाई कर्मियों ने मैला प्रथा व सीवर में मौत होने के खिलाफनिकाला| इस दौरान स्टॉप किलिंग अस मूवमेंट द्वारा जनजागृति का कार्य भी किया गया।
स्टॉप किलिंग अस मूवमेंट के उत्तराखण्ड संचालक अमर बेनीवाल ने सीवर में काम करने वाले कर्मचारियों, उनके परिवारजनों एवं समाज सेवियों के साथ प्रचार सामग्री बांट कर सीवर में कार्य करने के नुकसान व खतरो से अवगत कराया। उन्होंने बताया की यदि आपके ठेकेदार व विभाग के अधिकारी आपको समुचित उपकरण, बीमा आदि अनुमन्य सुविधाएं न दें तो आप सीवर में उतरने से मना कर दें। कानून में आपके लिए समुचित व्यवस्था है।
अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ के उत्तराखण्ड प्रभारी विशाल बिरला ने कहा कि उत्तराखंड में 9 सफाई कर्मियों की सीवर की डेथ व कोरोनाकाल में 6 से ज्यादा सफाई कर्मचारियों की संक्रमित हो जाने से मौत हुयी है, परंतु उत्तराखंड सरकार अनेकों ज्ञापन, मांग पत्र, आंदोलन व प्रदर्शनों के बाद भी इस वर्ग का शोषण होते देख रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मुगल काल में धर्म परिवर्तन ना कर मैला ढोना स्वीकार करने वाली इस बहादुर कौम को आज आजाद भारत की सरकार भी गुलाम बनाए रखना चाहती है। कहा हमें अपने हक अधिकार के लिए जागृत होकर सड़को पर उतरना होगा। बाबा साहेब डा भीम राव अंबेडकर द्वारा प्रदत्त अधिकारों के प्रयोग कर इन काले अंग्रेजों द्वारा बांधी जारही गुलामी की बेड़ियों को तोड़ना होगा। शिक्षा वा स्वरोजगार द्वारा ही हमारा उत्थान संभव है अन्यथा आज लगता है की मनुवादी सोच से पोषित सरकारें इन्हे दो वक्त की रोटी का गुलाम बनाकर रखेगी। हमारे बच्चो का भविष्य अंधकार में है। वर्षो से मृत हुए कार्मिकों को मुआवजा तो दूर चिन्हित मैन्युअल स्क्वेंजर्स के पुनर्वास का भी सरकार नही सोचती है। आज शोषण करने वाले लोग सरकारी कलम का प्रयोग अपने हक में कर रहें है।
बिरला ने बताया कि हम स्टॉप किलिंग अस मूवमेंट के द्वारा पूरे देश में जनजागृति कर सरकार को चेता रहे हैं व इस पीड़ित व वंचित वर्ग को एकत्र कर जागरूक कर रहें है।
इस दौरान अनेकों मातृ शक्ति, युवाओं वा सीवर कर्मचारियों ने कैंपेन में प्रतिभाग किया। मोनिका जी, सीमा जी, राहुल जी, अमन जी, विकास जी, सागर जी, राजकुमार जी आदि के समेत अनेकों साथियों ने बैनर, तख्ती वा प्रचार वाले पर्चे बांटकर कैंपेन में सहयोग किया।