देहरादून। राज्य में दोपहर बाद मौसम ने करवट बदली। टिहरी जिले के प्रताप नगर और भिलंगना ब्लाॅक क्षेत्र में बारिश हुई। वहीं, ऊपली रमोली क्षेत्र के ओनालगांव में ओलावृष्टि हुई है। ओलावृष्टि होने से सेब, नाशपाती ,आडू, खुमानी और अन्य फलदार पेड़ों को नुकसान पहुंचा है। वहीं, बागेश्वर में हिमालयी क्षेत्र से सटे फुर्किया, चिल्ठा, जांतोली की ऊंची चोटियों में हल्का हिमपात होने लगा। शाम करीब पांच बजे बाद कांडा तहसील मुख्यालय के साथ ही कई इलाकों में काफी देर तक ओलावृष्टि हुई। खेत ओलों से पट गए।
पश्चिमी विक्षोभ के कमजोर रहने से उत्तराखंड में इस साल शीतकाल में महज 37.6 मिमी बारिश ही हुई है। यह बारिश सामान्य से 63 प्रतिशत कम है। पिछले साल की तुलना में इस साल बर्फबारी भी बेहद कम हुई है। इसके चलते जल स्रोतों में पानी का स्तर घटने लगा है। मौसम में आ रहे इस बदलाव का कारण वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी माना जा रहा है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार बारिश पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता पर निर्भर रहती है। वर्ष भर में होने वाली सौ प्रतिशत बारिश में से 80 प्रतिशत बारिश मानसून काल में जून से सितंबर तक होती है जबकि शेष 20 प्रतिशत बारिश अन्य महीनों में होती है। इस साल शीतकाल में हिमालयी क्षेत्र से सटे कुछ क्षेत्रों को छोड़कर प्रदेश में नवंबर से अब तक बारिश नहीं होने के कारण सूखे जैसे हालात बने हुए हैं। शीतकाल में 102 मिमी बारिश को सामान्य माना जाता है जबकि इस साल महज 37.6 मिलीमीटर बारिश ही हुई है। यह सामान्य से 63 प्रतिशत कम है। यही स्थिति बर्फबारी की भी है। पिछले साल की तुलना में इस साल बेहद कम बर्फबारी हुई है।
मौसम विभाग के निदेशक बिक्रम सिंह का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ के बेहद कमजोर होने से इस साल शीतकाल में सामान्य से 63 प्रतिशत कम बारिश हुई है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिछले कुछ वर्षों में मौसम में कुछ भिन्नता देखने को मिली है। इसमें मानव जनित कारण भी शामिल हैं।