देहरादून। “रीच टॉकीज दून फिल्म सोसाइटी” अच्छी फिल्मों की संस्कृति को देहरादून में विकसित करने के लिए राजपुर रोड स्थित इंदरलोक होटल में अंतर्राष्ट्रीय मूवी “टोक्यो स्टोरी” लोगों को दिखाई गई। इस मूवी की कहानी में दिखाया गया है कि एक उम्रदराज जोड़े, तोमी और सुकिची है जो टोक्यो में अपने दो वयस्क बच्चों से मिलने जाते हैं। इतने बरसों बाद अपने बच्चों से मिलने की लालसा एवं बहुत से संजोए हुए सपनों कोलेकर जब वे लोग टोक्यो पहुंचते हैं तो देखते हैं कि उनके बच्चे अपने व्यस्त दिनचर्या से बहुत ही कम समय उनके लिए निकाल पाते हैं। बच्चों के घर में भी जगह ना होने के कारण कभी इधर कभी उधर भटकना पड़ता है और उनके बेटे के शादीशुदा जिंदगी में भी माता पिता के आने की वजह से खटपट शुरू हो जाती हैं और माता पिता के लिए उनके पुत्र के घर में जगह भी कम पड़ने लगता है। साधारण परिवारिक पृष्ठभूमि में जो हम आप देखते हैं वही सब उन दिनों इस मूवी के कलाकारों के साथ शुरू हो जाता है और वह परेशान होकर अपने बच्चे के घर छोड़ टोक्यो में इधर-उधर भटकने लगते हैं। इस मूवी में दिखाया गया है कि कैसे एक वृद्ध माता-पिता जो अपने बच्चों को पाल पोस कर एक डॉक्टर बनाया और उसे शहर भेज कर सुकून से अपने गांव में अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे परंतु जब वे इतने वर्षों बाद उन्हीं संतानों के बेरुखी को इस कदर देखते हैं तो बहुत ही निराश होते हैं। ऐसा लगता है कि शहर के आपाधापी वाले जिंदगी में लोग अब सब कुछ भूलते जा रहे हैं ना रिश्ते नातों की कोई कदर है और ना ही किसी के अरमानों की किसी को फिक्र है। समाज के बदलते दौर में अब वृद्ध व्यक्ति के लिए आश्रय ढूंढना बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है। यह फिल्म आधुनिक समय के पारिवारिक हालात और लाचार जिंदगी को दिखाता है। इस फिल्म को एक नाटक के रूप मे निखाया गया है और इसकी मूल भाषा जापानी है। जिसे 3 नवंबर 1953 में रिलीज की गई थी और इस फिल्म कि कहानी को 2 घंटे 14 मिनट तक दिखाई गई है। निदेशक यासुजीरो ओजू एक जापानी फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक थे। उन्होंने मूक फिल्मों के युग के दौरान अपने करियर की शुरुआत की और उनकी आखिरी फिल्में 1960 के दशक की शुरुआत में रंगीन बनीं।