देहरादून, नीरज कोहली। आईसीएफआरई एफ.आर.आई. ने हिमालय वन अनुसंधान संस्थान के सहयोग से क्षतिग्रस्त भूमि की पारिस्थितिक बहाली विषय पर क्षेत्रीय अनुसंधान सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन में राज्य वन विभागों के गणमान्य व्यक्तियों, आईसीएफआरई संस्थानों के वैज्ञानिकों और अन्य हितधारकों ने भाग लिया।
उद्घाटन भाषण में डॉ. सुधीर कुमार, उप महानिदेशक (विस्तार) और प्रभारी, निदेशक एफ.आर.आई. ने बंजर भूमि को पुनः प्राप्त करने के महत्व पर जोर दिया। जगदीश चंद्र, एच.ओ.एफ.एफ. और पी.सी.सी.एफ., हरियाणा ने अपने मुख्य भाषण में खराब भूमि की पर्यावरण-पुनर्स्थापना के लिए स्थानीय, स्वदेशी और प्रमुख प्रजातियों की ओर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया। उन्होंने इस विषय पर अपने द्वारा किये गये कार्यों को प्रस्तुत किया। विजय कुमार, पी.सी.सी.एफ.,उत्तराखंड ने प्रतिभागियों को मिट्टी के कटाव और भूमि क्षरण से निपटने के लिए नवीनतम तकनीकों के बारे में बताया, साथ ही हाल की घटनाओं और उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी वर्षा और भूस्खलन से हुई तबाही पर अपनी चिंता व्यक्त की। एच.एफ.आर.आई के निदेशक डॉ. संदीप शर्मा ने एच.एफ.आर.आई की उपलब्धियों की ओर ध्यान आकर्षित किया। इसके अलावा, डॉ. एन.के. उप्रेती, वैज्ञानिक-जी और जी.सी.आर, आईसीएफआरई-एफ.आर.आई. ने उपरोक्त विषय के आधार पर आईसीएफआरई-एफ.आर.आई. की उपलब्धियों पर जोर दिया। शेर-ए-कश्मीर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. संदीप सहगल ने कृषि वानिकी का उपयोग करके भूमि सुधार गतिविधियों पर अपने बहुमूल्य इनपुट दिए और विशिष्ट जर्मप्लाज्म के संरक्षण और मूल्यांकन के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. संजीव चौहान निदेशक (अनुसंधान) वाई.एस.परमार विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश ने बंजर भूमि के पर्यावरण-पुनर्स्थापन में अब तक किए गए कार्यों पर अपनी जानकारी दी। डॉ. एन. बाला, वैज्ञानिक-जी आईसीएफआरई-एफ.आर.आई. ने भूमि बहाली के महत्व, भूमि क्षरण से जुड़ी चुनौतियों को दोहराया और प्रभावित भूमि की बहाली के लिए आगे के रास्ते सुझाए। सुरेंद्र सिंह डी.एफ.ओ. (अनुसंधान) ने भूमि क्षरण के संभावित कारणों पर प्रकाश डाला और इसके लिए संभावित समाधान दिए। बैठक में यूपी वन विभाग के एपी.सी.सी.एफ. (अनुसंधान) अरविंद कुमार सिंह भी शामिल हुए। कार्यक्रम का समापन आर.आर.सी. 2023 के समन्वयक डॉ. तारा चंद के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।