देहरादून, नीरज कोहली। फर्जी रजिस्ट्री प्रकरण में एसआईटी तथा कोतवाली नगर पुलिस द्वारा एक और अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया है, जो फोरेंसिक एक्सपर्ट है। के0पी0 सिंह व उसके सहयोगियों द्वारा तैयार किए गए फर्जी दस्तावेजों को बनाने में अभियुक्त की भूमिका अहम रही है। अभियुक्त फॉरेंसिक एक्सपर्ट होने के कारण कूटरचित दस्तावेज आसानी से तैयार कर लेता था।ं एसएसपी देहरादून अजय सिंह का कहना है कि अभियुक्त से पूछताछ में कुछ और व्यक्तियों के अपराध में शामिल होने तथा कुछ अन्य फर्जी रजिस्ट्रियों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त हुयी है, जिन्हें एसआईटी द्वारा विवेचना में शामिल किया गया है। प्रकाश में आये तथ्यों के आधार पर जल्द ही साक्ष्य संकलन कर अन्य अभियुक्तो की भी गिरफ्तारी की जायेगी।
फर्जी रजिस्ट्री प्रकरण में थाना कोतवाली नगर में पंजीकृत अभियोग की विवेचना एस0आई0टी0 द्वारा की जा रही है। उक्त प्रकरण में एसएसपी देहरादून के निर्देश पर प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर एस0आई0टी0 द्वारा एक और अभियुक्त अजय मोहन पालीवाल को हरभजवाला बसंत विहार से गिरफ्तार किया गया। अभियुक्त हस्ताक्षर व हस्त लेख एक्सपर्ट है। पूछताछ में अभियुक्त द्वारा बताया गया कि उसने 1988 में दून फोरेसिक साइन्स का डिप्लोमा कोर्स पत्राचार से किया था। अभियुक्त का चेम्बर कचहरी मुज्जफरनगर में है। अभियुक्त ने 1988 से हस्ताक्षर मिलान व हस्तलेख मिलान का काम शुरू किया था। पहले वह सुभाष विरमानी का साइन कम्पेयर का काम करता था, फिर कमल विरमानी का काम भी रोहताश के माध्यम से उसके पास आने लगा। चूकि अभियुक्त हस्तलेख, हस्ताक्षर विशेषज्ञ था, इसलिए कंवरपाल सिंह व ओमवीर तोमर ने अभियुक्त को फर्जी दस्तावेज तैयार करने तथा उसके एवज में अच्छी रकम देने की बात कही, तो अभियुक्त अजय मोहन पालिवाल मान गया। कंवरपाल व उसके अन्य साथी, ठेकेदारी के टेण्डर के साथ दाखिल स्टाम्प पेपरों को, जिनमें बहुत कम लाइने लिखी होती थी, उन्हें सम्बन्धित कार्यालयों से प्राप्त कर उनको कार्यालय की कार्यवाही में हटाकर नमक के तेजाब से धुल कर कोरा बना देते थे। इसके लिये बहुत पुराने मोटे वाले कागजांे को गीली रुई से रगड़ते थे, जिससे स्याही कागज की पतली परत के साथ उतर जाती थी और कागज कोरा हो जाता था, फिर स्केच पेन को गीला कर उन्ही लाईनांे के उपर लिख देते थे व अधिकारियों के हस्ताक्षर स्कैन कर कागज पर छापते थे। अभि0 अजय मोहन पालिवाल ने इसी तरह रक्षा सेन, फरखन्दा रहमान, राजेन्द्र सिंह, त्रिभुवन, दिपांकर नेगी, मांगे राम, प्रेमलाल, रामनाथ, राम चंद्र, पदमा कुमारी, मोती लाल, चन्द्र बहादुर सिंह, गोवर्धन, सुभाष, रवि मित्तल, जगमोहन व और भी कुछ जमीनो को , जो रायपुर, चकरायपुर, जाखन, राजपुर रोड, क्लेमेन्टाउन, ब्रह्माणवाला, रैनापुर, नवादा आदि जगहों पर है, के फर्जी बैनामेंध्विलेख वसियतें तैयार की थी। अभियुक्त द्वारा शाहनवाज के लिये क्ज्ञ मित्तल, शीला मित्तल वाली फर्जी वसियत भी बनायी थी। अभियुक्त अजय मोहन पालिवाल प्रति बैनामाध् विलेख के एक लाख रूपये तक व फर्जी हस्ताक्षर करने के प्रति हस्ताक्षर 25 हजार रूपये कंवरपाल आदि से लेता था। वर्ष 2021-22 में कंवरपाल के खाते से अजय मोहन पालिवाल के खाते में फर्जी अभिलेख तैयार करने के एवज में कई लाख रुपये के ट्रांजेक्शन होना पाया गया है।