देहरादून/काशीपुर, नीरज कोहली। स्वास्थ्य सचिव डा.आर.राजेश कुमार ने कहा है कि प्रदेश के जिला अस्पतालों में सभी अत्याधुनिक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कुमाऊं मंडल के सभी जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी जल्द दूर की जाएगी। स्वास्थ्य सचिव अपने चार दिवसीय कुमाऊं दौरे से आज वापस लौट आए हैं। काशीपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि कुमांउ मंडल में स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहत्तर बनाया जायेगा। सीमांत जनपदों में अत्याधुनिक सुविधायें जल्द मिलने लगेंगी। आने वाले समय में इलाज के लिए किसी भी व्यक्ति को शहर जाने की आवश्यकता नहीं पडे़गी। इसके लिए तेजी के साथ विभिन्न जनपदों में मेडिकल कॉलेजों का निर्माण जारी है। उन्होंने कहा हमारा प्रयास है सभी जिला अस्पतालों के साथ ही अन्य सरकारी अस्पतालों में स्पेशिलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती हो ताकि मरीज को घर के पास ही बेहत्तर इलाज मिल सके। स्वास्थ्य सचिव ने चंपावत,पिथौरागढ़,बागेश्वर,अल्मोड़ा, और वापसी में उधमसिंह नगर जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत जांची। स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करने के साथ ही जनपदों के जिला अस्पतालों के साथ ही प्राथमिक स्वास्थ केन्द्रों का दौरा किया। इस दौरान मरीजों से उन्हें मिलने वाली सुविधाओं का फीडबैक लिया। इसके साथ ही उन्होंने स्थानीय लोगों, जनप्रतिनिधियों के साथ स्वास्थ्य चैपाल लगाई और उनकी स्वास्थ्य संबधी समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया।
वहीं वापसी में आज स्वास्थ्य सचिव ने एल.डी.भट्ट उप जिला चिकित्सालय, काशीपुर का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान स्वास्थ्य सचिव ने ऑपरेशन थिएटर, ए.एन.सी. वार्ड, डिलीवरी रूम और ट्रामा सेंटर आदि का निरीक्षण किया। चिकित्सालय में पी.पी.पी. मोड पर संचालित कार्डिक केयर यूनिट का निरीक्षण करते हुए स्वास्थ्य सचिव ने हर तरह की सुविधा मरीजों को देने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कार्डिक केयर यूनिट खुलने से इससे सम्बंधित बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को त्वरित एवं निःशुल्क इलाज मिलेगा। इस दौरान उन्होंने कैथ लैब को भी जल्द से जल्द शुरू करने के निर्देश दिए। स्वास्थ्य सचिव ने अपने निरीक्षण के दौरान चिकित्सकों द्वारा बाहर से दवा लिखने पर अत्यंत रोष प्रकट करते हुए सख्त निर्देश दिए कि चिकित्सालय में दवा उपलब्ध होने की दशा में कोई भी बाहर की दवाएं न लिखें। साथ ही उन्होंने दवा के साल्ट की जगह ब्रांड लिखने पर भी नाराजगी जताते हुए पुनरावृत्ति न होने के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को सख्त निर्देश दिए।