सोमवार को दोनों धामों में बर्फवारी से मौसम सर्द हुआ
देहरादून,नीरज कोहली। श्री बद्रीनाथ एव केदारनाथ में रविवार से लगातार रूक-रूककर हो रही बारिश-बर्फबारी से मौसम ख़ुशनुमा हो गया,मौसम का आनंद उठाते हुए मनमोहक नज़ारे के बीच बड़ी संख्या में श्रधालुआओं ने श्री बद्रीनाथ तथा केदारनाथ धाम पहुँच कर दर्शन किये। मंदिर समिति से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार प्रातःकाल से ही बारिश तथा दोपहर बाद बर्फवारी शुरू हो गयी थी, जिससे बदरीनाथ में बर्फ की हल्की चादर जम गयी है तथा सर्दी बढ गयी है,साथ ही श्री
केदारनाथ धाम ने भी बारिश के बाद बर्फ की चादर ओढ़ ली है। कहीं पर लगभग पांच तो कहीं दस से पंद्रह सेमी तक बर्फ जम गयी हैं जिससे मौसम सर्द हो गया। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ( बीकेटीसी) मीडिया प्रभारी डा.हरीश गौड़ ने बताया कि बर्फवारी के बीच तीर्थयात्री लगातार बदरीनाथ एवं केदारनाथ धाम पहुंच रहे है। बर्फवारी के बावजूद रविवार को 10546 तीर्थयात्रियों ने केदारनाथ धाम के दर्शन किये। केदारनाथ में तीर्थयात्रियों की संख्या 1697875 पहुंच गयी। जो आज रिकार्ड 17 लाख से अधिक हो गयी है।
इसी तरह बदरीनाथ धाम में आज प्रातरूसे बारिश है दोपहर बाद बर्फवारी शुरू हो गयी शाम तक बर्फ जमने लगी। नीलकंठ पर्वत की तलहटी सहित ऊंची चैकियों बर्फ से ढ़क गयी है। लगातार बारिश रही तो बर्फवारी बढ सकती है। तीर्थयात्रियों की बात करें तो बदरीनाथ में रविवार को 5719 तीर्थयात्रियों ने दर्शन कर लिए तथा तीर्थयात्रियों की संख्या 1585739 (पंद्रह लाख पिचासी हजार) पहुंच गयी। इस तरह केदारनाथ में अब तक विगत वर्षों की तुलना में दस से पंद्रह प्रतिशत अधिक श्रद्धालु पहुंचे है। रविवार तक 3283614 तीर्थयात्री बदरी-केदार पहुंचे है।वहीं चारधाम पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों की कुल संख्या सवा अड़तालीस लाख पहुंची है। श्री केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त सचिव ध् बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने कहा कि मौसम के मिजाज को देखते दोनों धामों में तीर्थयात्रियों के सर्दी से बचाव हेतु अलाव, गर्मपानी, स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से प्राथमिक उपचारध् स्वास्थ्य जांच, यात्रा मार्गदर्शन आदि की व्यवस्था की गयी है। जरूरत हुई तो मंदिर समिति भंडारे का भी आयोजन करेगी। उल्लेखनीय है कि श्री केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु भैया दूज 15 नवंबर को बंद हो रहे है जबकि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि विजय दशमी को तय होनी है। इसके साथ चारधाम यात्रा का भी समापन हो जाता है।