देहरादून,नीरज कोहली। विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2023 के पांचवे दिन के कार्यक्रम की शुरूआत विरासत साधना के साथ हुआ। जहां युवा छात्रों द्वारा शास्त्रीय वाद्य-संगीत प्रस्तुत किए गए। वाद्य-संगीत श्रेणी में 12 स्कूलों के छात्रों ने भाग लिया,जिसमें थे इंडियन एकेडमी स्कूल के समिक कल्याण ने तबला वादन प्रस्तुत किया। पी वाई डी एस लर्निंग एकेडमी की रिया रावत ने बसुरी में शास्त्रीय राग अपनी प्रस्तुति दी। देहरादून के दून वैली पब्लिक स्कूल के ओम भारद्वाज ने तबला के माध्यम से राग प्रस्तुत किए, घुंगरू कथक संगीत महाविद्यालय के शिवम लोहिया ने तबला पर प्रस्तुति दी। दून इंटरनेशनल स्कूल के अंतस् सोलंकी ने तबला वादन किया जिसमें उन्होंने दो प्रकार के राग बजाए, गुरु स्मृति संगीत शिक्षा केंद्र के मयंक धीमान ने शिशिर घुनियाल की संगत में बसूरी से समा बांधा। मधुकर कला संस्थान के समर्थ शर्मा ने राघव की संगत में तबला वादन किया, एसजीआरआर पब्लिक स्कूल बालावाला के हरजोत सिंह ने हारमोनियम के द्वारा राग भूपाली प्रस्तुत किया। सेंट ज्यूड्स स्कूल के अभिनव पोखरियाल के संगत में योगेश केदवाल के साथ तबला वादन किया जहां उन्होंने उठान और कायदे की प्रस्तुती की। ज्ञानंदा स्कूल फॉर गर्ल्स की अध्या आनंद ने संगत में जितेंद्र पांडे के साथ सितार वादन किया। एशियन स्कूल के हस्जास सिंह बावा ने अनवेश कांत की संगत में तबला वादन किया। अंतिम प्रस्तुती दी गली म्यूजिक एकेडमी के खुसागरा सिंह ने जिन्होंने सितार वादन द्वारा राग भैरव की प्रस्तुती की।
नृत्य श्रेणी में 5 स्कूलों ने भाग लिय,जिसमें से पहली प्रतिभागी थी डी ए वी पीजी कॉलेज से स्नेहा अग्रवाल जिन्होंने सरावस्ती वंदना पर भरतनाट्यम किया! दूसरी प्रस्तुती थी लक्ष्मी एतराम कल्चरल सोसायटी की शालिनी जिन्होंने देवी स्तुति भरतनाट्यम द्वारा प्रस्तुत की। तीसरी प्रस्तुति कॉन्वेंट ऑफ जीसस मेरी की रक्षिता जोशी जिन्होंने शिव पंचाक्षर पर भरतनाट्यम किया। चैथी प्रस्तुति दी ओब्रॉय स्कूल ऑफ इंटीग्रेटेड स्टडीज की गौरी चिल्लर ने नव दुर्गा स्तुति भरतनाट्यम द्वारा प्रस्तुत की। अंतिम प्रस्तुती सेंट जोसेफ एकेडमी की मनसा शर्मा ने ’सब बन ठन आई’ संगीत पर कथक प्रस्तुत किया। विरासत साधना की आयोजक कल्पना शर्मा ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए। आज के सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभांरंभ बिपेन गुप्ता, अध्यक्ष, सीआईआई ने दीप प्रज्वलन के साथ किया एवं उनके साथ रीच विरासत के महासचिव आर.के.सिंह एवं अन्य सदस्य भी मैजूद रहें। सांस्कृतिक कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति में अदनान खान ने राग राजेश्री में एक बंदिश के साथ अपने प्रदर्शन की शुरुआत की और उसके बाद कुछ मधुर धुनों के साथ मिश्र खमाज में एक धुन के साथ अपने कार्यक्रम का समापन किया। अदनान खान किराना घराने के प्रसिद्ध सितार वादक उस्ताद सईद खान के बेटे है, अदनान ने अपने दादा स्वर्गीय उस्ताद जफर अहमद खान के अधीन अपनी प्रारंभिक सितार तालीम शुरू की। वह अपने पिता से वाद्य यंत्र की बारीकियां सीखें और अब अपने चाचा उस्ताद मशकूर अली खान से गायकी अंग सीख रहे हैं। प्रतिभाशाली युवा अदनान ने जालंधर में ’हरबल्लव’ संगीत समारोह और मुंबई में ’कल के कलाकार’ सहित पूरे भारत में कार्यक्रमों में अपनं पस्तुतियां दी है। उनके संगीत के प्रति श्राद्धा एवं उनके कुशलता से किए गए प्रदर्शन दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता हैं।