देहरादून | दिवाली के दिन से उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में हुए हादसे में फंसे 41 श्रमिक आज बाहर आ सकते हैं। रेस्क्यू का आज 13वां दिन है। श्रमिको को बहार निकालने के लिए दिन रात कार्य किया जा रहा. साथ ही देश विदेश से टेक्निकल सहायता ली जा रही है. लेकिन बार बार कार्य के दौरान मशीनें बंद पड़ जा रही है. ऐसे में अब ड्रोन की मद्दत ली गई है.
ऑपरेशन सिलक्यारा की सफलता की राह में आ रहीं रुकावटों को दूर करने के लिए बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन, बीआरओ ने बंगलूरू से दो एडवांस ड्रोन मंगाए, जिन्होंने अंतिम चरण में सुरंग के भीतर मलबे में राह दिखाई। ये ऐसे ड्रोन हैं जो कहीं भी मलबे के भीतर की पूरी स्कैनिंग कर सकते हैं।
बंगलूरू की स्क्वाड्रोन इंफ्रा के छह टनलिंग-माइनिंग विशेषज्ञ इंजीनियर की टीम ने सुरंग में पहुंचकर आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस से भीतर के हालात बताए, जिससे अभियान को अंजाम तक पहुंचाने में काफी मदद मिली। बीआरओ के डीडीजी ब्रिगेडियर विशाल वर्मा ने मलबे के भीतर ड्रिल में आ रही दुश्वारियों के बीच बंगलूरू की स्क्वाड्रोन इंफ्रा एंड माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की मदद ली।
बता दें कि श्रमिल गुरूवार को ही बहार निकल जाते लेकिन 10 मीटर पहले ही ड्रिल रूक गई. क्योकि ऑगर मशीन ने काम करना बंद कर दिया था. वही इस दौरान सामने आने वाले सरिये की जानकारी स्क्वाड्रन ने बचाव दलों को दी। ये ड्रोन सिमुलटेनियस लोकेलाइजेशन एंड मैपिंग (स्लैम) व आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर अपने काम को अंजाम देते हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल केवल अंडरग्राउंड और जियोटेक्निकल एप्लीकेशन में ही किया जाता है। भारतीय वायुसेना की मदद से इससे संबंधित उपकरण सिलक्यारा तक पहुंचाए गए हैं। वहीं आज उम्मीद जताई जा रही है कि श्रमिल बहार निकल सकते है.