सरकार स्थानीय लोगों का रोजगार छीनकर माफिया राज फैलाना चाह रही:नेता प्रतिपक्ष

देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि गौला, नंधौर, कोशी-दाबका के खनन संचालन और खनन में लगे वाहनों की फिटनेस का कार्य पिछले दरवाजे से निजी कंपनियों को देकर राज्य सरकार का असली चेहरा सामने आ गया है।                                   इस निर्णय से न् केवल सरकार को राजस्व की हानि होगी बल्कि वन निगम और खनन कार्य से संबंधित 3 लाख लोग धीरे-धीरे खाने के लिए भी मोहताज हो जाएंगे।                                                      आर्य ने कहा कि इन निर्णयों  से सिद्ध हो गया है कि, सरकार आने वाले समय में उत्तराखंड के हर फायदे वाले काम को नीलाम कर देगी।                                                                                  नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गौला नदी और अन्य नदियों से हल्द्वानी अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा चलता है।                                          इन नदियों का खनन व्यवसाय कुमाऊं की अर्थव्यवस्था और सामाजिक-आर्थिक जीवन को भी प्रभावित करता है। इन नदियों के खनन व्यवसाय हेतु  वर्तमान में वन निगम में 12000 से अधिक वाहन  रजिस्टर्ड हैं 3 लाख के लगभग परिवार इस व्यवसाय से पल रहे हैं। राज्य सरकार खनन को निजी हाथों में दे कर सुनियोजित ढंग से इस व्यवसाय को खत्म करना चाह रही है।                                               नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि ,उत्तर प्रदेश के समय 90 के दशक में भी वँहा की सरकार ने गौला नदी को निजी हाथों में दे दिया था उस समय हल्द्वानी ओर आस-पास के इलाक़ों में माफिया का आतंक हो गया था ।                                                                    उन्होंने बताया कि अपराध और गुंदगिर्दी के उस माहौल से हल्द्वानी को निकालने में सालों लग गए थे।                                                                   एक बार फिर सरकार स्थानीय लोगों का रोजगार छीनकर माफिया राज फैलाना चाह रही है।हाईकोर्ट में जनहित याचिका की सुनवाई के क्रम में उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने गौला नदी से निकली उपखनिज सामग्री के मैन्युअल तुलान(तोल)और अवैध खनन पर वन विकास निगम और सरकार को नोटिस जारी किया है। नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि वन निगम के अंतर्गत खनन कार्य पर्यावरण मंत्रालय की शर्तों ओर खनन मैन्युअल के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक कांटे से तुलकर हो रहा था इस पद्धति में चोरी की संभावना शून्य थी। अब  निजी कंपनी ने इलेक्ट्रॉनिक कांटों को बंद कर दिया है उसके स्थान पर वह नापकर खनन पदार्थ की मात्रा और रॉयल्टी तय कर रहे हैं। इस पद्धति से चोरी बढ़ेगी और सरकार को राजस्व की हानि होगी।          नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , खनन को निजी हाथों में देने से पहले सरकार ने इस कार्य में लगे वाहनों की फिटनेस का काम निजी हाथों में दे दिया था। पहले जो फिटनेस 1800 रुपए में कुछ घंटों में होती थी अब निजी कंपनी उसके लिए 20 हजार रुपए लेकर कई दिन लगा रही है। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि , फिटनेस देने वाली निजी कंपनी के द्वारा  सरकार खनन व्यवसायियों द्वारा खनन व्यवसाय के निजीकरण के बिरोध को नियंत्रित करने की कोशिश करेगी। यशपाल आर्य ने कहा कि , सरकार उत्तराखंड की जल, जंगल और जमीन को बेचने में जुटी हुई है। हमारी नदियों – गधेरों पर खनन का अधिकार भी आज यहाँ के निवासियों से छीना जा रहा है, एक के बाद एक नदियों, नालों, गधेरों के पाटों में निजी पट्टे दिये जा रहे हैं। ये निजी कंपनियां धीरे-धीरे बालू-बजरी निकालने और ढोने का काम भी स्थानीय लोगों से छीन लेंगे।