नई दिल्ली/देहरादून।गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देशवासियों के नाम जारी अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा मेरे प्यारे देशवासियो,नमस्कार! पचहत्तरवें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मैं आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। जब मैं पीछे मुड़कर यह देखती हूं कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमने कितनी लंबी यात्रा की है तब मेरा हृदय गर्व से भर जाता है। हमारे गणतंत्र का पचहत्तरवां वर्ष कई अर्थों में देश की यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव है। यह उत्सव मनाने का विशेष अवसर हैए जैसे हमनेए स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने परए ष्आजादी का अमृत महोत्सवष् के दौरान अपने देश की अतुलनीय महानता और विविधतापूर्ण संस्कृति का उत्सव मनाया था।
कल के दिन हम संविधान के प्रारंभ का उत्सव मनाएंगे। संविधान की प्रस्तावना ष्हमए भारत के लोगष्ए इन शब्दों से शुरू होती है। ये शब्द हमारे संविधान के मूल भाव अर्थात् लोकतंत्र को रेखांकित करते हैं। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्थाए लोकतंत्र की पश्चिमी अवधारणा से कहीं अधिक प्राचीन है। इसीलिए भारत को ष्लोकतंत्र की जननीष् कहा जाता है।
एक लंबे और कठिन संघर्ष के बाद 15 अगस्तए 1947 को हमारा देश विदेशी शासन से मुक्त हो गया। लेकिनए उस समय भीए देश में सुशासन तथा देशवासियों में निहित क्षमताओं और प्रतिभाओं को उन्मुक्त विस्तार देने के लिएए उपयुक्त मूलभूत सिद्धांतों और प्रक्रियाओं को स्वरूप प्रदान करने का कार्य चल ही रहा था। संविधान सभा ने सुशासन के सभी पहलुओं पर लगभग तीन वर्ष तक विस्तृत चर्चा की और हमारे राष्ट्र के महान आधारभूत ग्रंथए यानी भारत के संविधान की रचना की। आज के दिन हम सब देशवासी उन दूरदर्शी जन.नायकों और अधिकारियों का कृतज्ञता.पूर्वक स्मरण करते हैं जिन्होंने हमारे भव्य और प्रेरक संविधान के निर्माण में अमूल्य योगदान दिया था।
हमारा देश स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ते हुए अमृत काल के प्रारंभिक दौर से गुजर रहा है। यह एक युगांतरकारी परिवर्तन का कालखंड है। हमें अपने देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का सुनहरा अवसर मिला है। हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक नागरिक का योगदानए महत्वपूर्ण होगा। इसके लिए मैं सभी देशवासियों से संविधान में निहित हमारे मूल कर्तव्यों का पालन करने का अनुरोध करूंगी। ये कर्तव्यए आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा मेंए प्रत्येक नागरिक के आवश्यक दायित्व हैं। इस संदर्भ में मुझे महात्मा गांधी का स्मरण होता है। बापू ने ठीक ही कहा थाए श्जिसने केवल अधिकारों को चाहा हैए ऐसी कोई भी प्रजा उन्नति नहीं कर सकी है। केवल वही प्रजा उन्नति कर सकी है जिसने कर्तव्य का धार्मिक रूप से पालन किया है।श्
मेरे प्यारे देशवासियोए
गणतंत्र दिवसए हमारे आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों को स्मरण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। जब हमए उनमें से किसी एक बुनियादी सिद्धान्त पर चिंतन करते हैंए तो स्वाभाविक रूप से अन्य सभी सिद्धांतों पर भी हमारा ध्यान जाता है। संस्कृतिए मान्यताओं और परम्पराओं की विविधताए हमारे लोकतंत्र का अंतर्निहित आयाम है। हमारी विविधता का यह उत्सवए समता पर आधारित है जिसे न्याय द्वारा संरक्षित किया जाता है। यह सबए स्वतंत्रता के वातावरण में ही संभव हो पाता है। इन मूल्यों और सिद्धांतों की समग्रता ही हमारी भारतीयता का आधार है। डॉक्टर बीण् आरण् आंबेडकर के प्रबुद्ध मार्गदर्शन में प्रवाहितए इन मूलभूत जीवन.मूल्यों और सिद्धांतों में रची.बसी संविधान की भावधारा नेए सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए सामाजिक न्याय के मार्ग पर हमें अडिग बनाए रखा है।
मैं यह उल्लेख करना चाहूंगी कि सामाजिक न्याय के लिए अनवरत युद्धरत रहेए श्री कर्पूरी ठाकुर जी की जन्म शताब्दी का उत्सव कल ही संपन्न हुआ है। कर्पूरी जी पिछड़े वर्गों के सबसे महान पक्षकारों में से एक थे जिन्होंने अपना सारा जीवन उनके कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। उनका जीवन एक संदेश था। अपने योगदान से सार्वजनिक जीवन को समृद्ध बनाने के लिएए मैं कर्पूरी जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ।
हमारे गणतंत्र की मूल भावना से एकजुट होकर 140 करोड़ से अधिक भारतवासी एक कुटुंब के रूप में रहते हैं। दुनिया के सबसे बड़े इस कुटुंब के लिएए सह.अस्तित्व की भावनाए भूगोल द्वारा थोपा गया बोझ नहीं हैए बल्कि सामूहिक उल्लास का सहज स्रोत हैए जो हमारे गणतंत्र दिवस के उत्सव में अभिव्यक्त होता है।
इस सप्ताह के आरंभ में हम सबने अयोध्या में प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर निर्मित भव्य मंदिर में स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक समारोह देखा। भविष्य में जब इस घटना को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाएगाए तब इतिहासकारए भारत द्वारा अपनी सभ्यतागत विरासत की निरंतर खोज में युगांतरकारी आयोजन के रूप में इसका विवेचन करेंगे। उचित न्यायिक प्रक्रिया और देश के उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बादए मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हुआ। अब यह एक भव्य संरचना के रूप में शोभायमान है। यह मंदिर न केवल जन.जन की आस्था को व्यक्त करता है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में हमारे देशवासियों की अगाध आस्था का प्रमाण भी है।
प्यारे देशवासियोए
हमारे राष्ट्रीय त्योहार ऐसे महत्वपूर्ण अवसर होते हैं जब हम अतीत पर भी दृष्टिपात करते हैं और भविष्य की ओर भी देखते हैं। पिछले गणतंत्र दिवस के बाद के एक वर्ष पर नजर डालें तो हमें बहुत प्रसन्नता होती है। भारत की अध्यक्षता में दिल्ली में ळ20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी। ळ20 से जुड़े आयोजनों में जन.सामान्य की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इन आयोजनों में विचारों और सुझावों का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर नहीं बल्कि नीचे से ऊपर की ओर था। उस भव्य आयोजन से यह सीख भी मिली है कि सामान्य नागरिकों को भी ऐसे गहन तथा अंतर.राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे में भागीदार बनाया जा सकता है जिसका प्रभाव अंततः उनके अपने भविष्य पर पड़ता है। ळ20 शिखर सम्मेलन के माध्यम से ळसवइंस ैवनजी की आवाज के रूप में भारत के अभ्युदय को भी बढ़ावा मिलाए जिससे अंतर.राष्ट्रीय संवाद की प्रक्रिया में एक आवश्यक तत्व का समावेश हुआ।
जब संसद ने ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक पारित किया तो हमारा देशए स्त्री.पुरुष समानता के आदर्श की ओर आगे बढ़ा। मेरा मानना है कि ष्नारी शक्ति वंदन अधिनियमष्ए महिला सशक्तीकरण का एक क्रांतिकारी माध्यम सिद्ध होगा। इससे हमारे शासन की प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में भी बहुत सहायता मिलेगी। जब सामूहिक महत्व के मुद्दों पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगीए तब हमारी प्रशासनिक प्राथमिकताओं का जनता की आवश्यकताओं के साथ बेहतर सामंजस्य बनेगा।
इसी अवधि में भारतए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश बना। चंद्रयान.3 के बाद प्ैत्व् ने एक सौर मिशन भी शुरू किया। हाल ही में आदित्य स्1 को सफलतापूर्वक ष्भ्ंसव व्तइपजष् में स्थापित किया गया है। भारत ने अपने पहले एक्स.रे च्वसंतपउमजमत ैंजमससपजमए जिसे एक्सपोसैट कहा जाता हैए के प्रक्षेपण के साथ नए साल की शुरुआत की है। यह सैटेलाइटए अंतरिक्ष के ष्ब्लैक होलष् जैसे रहस्यों का अध्ययन करेगा। वर्ष 2024 के दौरान अन्य कई अंतरिक्ष अभियानों की योजना बनाई गई है। यह प्रसन्नता का विषय है कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा में अनेक नई उपलब्धियां हासिल की जाने वाली हैं। हमारे प्रथम मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रमए ष्गगनयान मिशनष् की तैयारी सुचारु रूप से आगे बढ़ रही है। हमें अपने वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों पर सदैव गर्व रहा हैए लेकिन अब ये पहले से कहीं अधिक ऊंचे लक्ष्य तय कर रहे हैं और उनके अनुरूप परिणाम भी हासिल कर रहे हैं। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का उद्देश्यए संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिएए विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका को और अधिक विस्तार तथा गहराई प्रदान करना है। प्ैत्व् के कार्यक्रम के प्रति देशवासियों में जो उत्साह दिखाई देता है उससे नई आशाओं का संचार हो रहा है। अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई उपलब्धियों नेए युवा पीढ़ी की कल्पना शक्ति को नए पंख दिए हैं। मुझे विश्वास है कि हमारे बच्चों और युवाओं मेंए बड़े पैमाने परए विज्ञान के प्रति रुझान बढ़ेगा तथा उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होगा। अन्तरिक्ष विज्ञान की इन उपलब्धियों से युवाओंए विशेषकर युवा महिलाओं को यह प्रेरणा मिलेगी कि वेए विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपना कार्यक्षेत्र बनाएं।
मेरे प्यारे देशवासियोए
आज का भारतए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। सुदृढ़ और स्वस्थ अर्थव्यवस्था इस आत्मविश्वास का कारण भी है और परिणाम भी। हाल के वर्षों मेंए सकल घरेलू उत्पाद की हमारी वृद्धि दरए प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक रही है। ठोस आकलन के आधार पर हमें पूरा विश्वास है कि यह असाधारण प्रदर्शनए वर्ष 2024 और उसके बाद भी जारी रहेगा। यह बात मुझे विशेष रूप से उल्लेखनीय लगती है कि जिस दूरगामी योजना.दृष्टि से अर्थव्यवस्था को गति प्राप्त हुई हैए उसी के तहत विकास को हर दृष्टि से समावेशी बनाने के लिए सुविचारित जन कल्याण अभियानों को भी बढ़ावा दिया गया है। महामारी के दिनों मेंए समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए लागू योजनाओं का दायराए सरकार ने बढ़ा दिया था। बाद मेंए कमजोर वर्गों की आबादी को संकट से उबरने में सहायता प्रदान करने हेतु इन कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखा गया। इस पहल को और अधिक विस्तार देते हुएए सरकार ने 81 करोड़ से अधिक लोगों को अगले पांच साल तक मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। संभवतरूए इतिहास में यह अपनी तरह का सबसे बड़ा जन.कल्याण कार्यक्रम है।
साथ हीए सभी नागरिकों के जीवन.यापन को सुगम बनाने के लिए अनेक समयबद्ध योजनाएं भी कार्यान्वित की जा रही हैं। घर में सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल की उपलब्धता से लेकर अपना घर होने के सुरक्षा.जनक अनुभव तकए ये सभी बुनियादी न्यूनतम आवश्यकताएं हैंए न कि विशेष सुविधाएं। ये मुद्देए किसी भी राजनीतिक या आर्थिक विचारधारा से परे हैं और इन्हें मानवीय दृष्टिकोण से ही देखा जाना चाहिए। सरकार नेए केवल जन.कल्याण योजनाओं का विस्तार और संवर्धन ही नहीं किया हैए अपितु जन.कल्याण की अवधारणा को भी नया अर्थ प्रदान किया है। हम सभी उस दिन गर्व का अनुभव करेंगे जब भारत ऐसे कुछ देशों में शामिल हो जाएगा जहां शायद ही कोई बेघर हो। समावेशी कल्याण की इसी सोच के साथ ष्राष्ट्रीय शिक्षा नीतिष् में डिजिटल विभाजन को पाटने और वंचित वर्गों के विद्यार्थियों के हित मेंए समानता पर आधारित शिक्षा व्यवस्था के निर्माण को समुचित प्राथमिकता दी जा रही है। ष्आयुष्मान भारत योजनाष् के विस्तारित सुरक्षा कवच के तहत सभी लाभार्थियों को शामिल करने का लक्ष्य है। इस संरक्षण से गरीब और कमजोर वर्गों के लोगों में एक बहुत बड़ा विश्वास जगा है।
हमारे खिलाड़ियों ने अंतर.राष्ट्रीय मंचों पर भारत का मान बढ़ाया है। पिछले साल आयोजित एशियाई खेलों मेंए हमने 107 पदकों के नए कीर्तिमान के साथ इतिहास रचा और एशियाई पैरा खेलों में हमने 111 पदक जीते। यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि महिलाएंए हमारी पदक.तालिका में बहुत प्रभावशाली योगदान दे रही हैं। हमारे श्रेष्ठ खिलाड़ियों की सफलता से बच्चों को विभिन्न खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरणा मिली हैए जिससे उनका आत्मविश्वास बहुत बढ़ा है। मुझे विश्वास है कि नए आत्मविश्वास से भरपूर हमारे खिलाड़ीए आगामी पेरिस ओलिंपिक में और भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
प्यारे देशवासियोए
हाल के दौर में विश्व में अनेक स्थलों पर लड़ाइयां हो रही हैं और दुनिया के बहुत से हिस्से हिंसा से पीड़ित हैं। जब दो परस्पर विरोधी पक्षों में से प्रत्येक मानता है कि केवल उसी की बात सही है और दूसरे की बात गलत हैए तो ऐसी स्थिति में समाधान.परक तर्क के आधार पर ही आगे बढ़ना चाहिए। दुर्भाग्य सेए तर्क के स्थान परए आपसी भय और पूर्वाग्रहों ने भावावेश को बढ़ावा दिया हैए जिसके कारण अनवरत हिंसा हो रही है। बड़े पैमाने पर मानवीय त्रासदियों की अनेक दुखद घटनाएं हुई हैंए और हम सब इस मानवीय पीड़ा से अत्यंत व्यथित हैं। ऐसी परिस्थितियों मेंए हमें भगवान बुद्ध के सारगर्भित शब्दों का स्मरण होता हैरू
न हि वेरेन वेरानिए सम्मन्तीध कुदाचनम्
अवेरेन च सम्मन्तिए एस धम्मो सनन्तनो
इसका भावार्थ हैरू
श्यहां कभी भी शत्रुता को शत्रुता के माध्यम से शांत नहीं किया जाता हैए बल्कि अ.शत्रुता के माध्यम से शांत किया जाता है। यही शाश्वत नियम है।श्
वर्धमान महावीर और सम्राट अशोक से लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तकए भारत ने सदैव एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि अहिंसा केवल एक आदर्श मात्र नहीं है जिसे हासिल करना कठिन होए बल्कि यह एक स्पष्ट संभावना है। यही नहींए अपितु अनेक लोगों के लिए यह एक जीवंत यथार्थ है। हम आशा करते हैं कि संघर्षों में उलझे क्षेत्रों मेंए उन संघर्षों को सुलझाने तथा शांति स्थापित करने के मार्ग खोज लिए जाएंगे।
वैश्विक पर्यावरण संकट से उबरने में भी भारत का प्राचीन ज्ञानए विश्व.समुदाय का मार्गदर्शन कर सकता है। भारत को ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों को बढ़ावा देने में अग्रणी योगदान देते हुए और ळसवइंस ब्सपउंजम ।बजपवद को नेतृत्व प्रदान करते हुए देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता होती है। भारत नेए पर्यावरण के प्रति सचेत जीवन.शैली अपनाने के लिएए ष्स्पथ्म् डवअमउमदजष् शुरू किया है। हमारे देश में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे का सामना करने में व्यक्तिगत व्यवहार.परिवर्तन को प्राथमिकता दी जा रही है तथा विश्व समुदाय द्वारा इसकी सराहना की जा रही है। हर स्थान के निवासी अपनी जीवन.शैली को प्रकृति के अनुरूप ढालकर अपना योगदान दे सकते हैं और उन्हें ऐसा करना ही चाहिए। इससेए न केवल भावी पीढ़ियों के लिए पृथ्वी का संरक्षण करने में सहायता मिलेगी बल्किए जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।
प्यारे देशवासियोए
हमारी स्वाधीनता के सौ वर्ष पूरे होने तक कीए अमृत काल की अवधि के दौरान अभूतपूर्व तकनीकी परिवर्तन भी होने जा रहे हैं। ।तजपपिबपंस प्दजमससपहमदबम और डंबीपदम स्मंतदपदह जैसे तकनीकी बदलावए असाधारण गति के साथए सुर्खियों से बाहर आकरए हमारे दैनिक जीवन का अंग बन गए हैं। कई क्षेत्रों में भविष्य से जुड़ी आशंकाएं चिंतित करती हैंए लेकिन अनेक उत्साह.जनक अवसर भी दिखाई देते हैंए विशेषकर युवाओं के लिए। हमारे युवाए वर्तमान की सीमाओं से परे जाकर नई संभावनाएं तलाश रहे हैं। उनके मार्ग से बाधाओं को दूर करने और उन्हें अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने की सुविधा प्रदान करने के लिए हमें हर संभव प्रयास करना है। हमारी युवा पीढ़ी चाहती है कि सभी को अवसर की समानता प्राप्त हो। वे समानता से जुड़े पुराने शब्दजाल नहीं चाहते हैं बल्किए समानता के हमारे अमूल्य आदर्श का यथार्थ रूप देखना चाहते हैं।
वास्तव मेंए हमारे युवाओं के आत्मविश्वास के बल पर ही भावी भारत का निर्माण हो रहा है। युवाओं के मनो.मस्तिष्क को संवारने का कार्य हमारे शिक्षक.गण करते हैं जो सही अर्थों में राष्ट्र का भविष्य बनाते हैं। मैं अपने उन किसानों और मजदूर भाई.बहनों के प्रति आभार व्यक्त करती हूं जोए चुपचाप मेहनत करते हैं तथा देश के भविष्य को बेहतर बनाने में बहुत बड़ा योगदान देते हैं। गणतन्त्र दिवस के पावन अवसर की पूर्व संध्या परए सभी देशवासी हमारे सशस्त्र बलोंए पुलिस और अर्ध.सैन्य बलों का भी कृतज्ञता.पूर्वक अभिनंदन करते हैं। उनकी बहादुरी और सतर्कता के बिनाए हम उन प्रभावशाली उपलब्धियों को प्राप्त नहीं कर सकते थे जो हमने हासिल कर ली हैं।
अपनी वाणी को विराम देने से पहलेए मैं न्यायपालिका और सिविल सेवाओं के सदस्यों को भी शुभकामनाएं देना चाहती हूं। विदेशों में नियुक्त भारतीय मिशनों के अधिकारियों और प्रवासी भारतीय समुदाय के लोगों को मैं गणतन्त्र दिवस की बधाई देती हूं। आइएए हम सब यथाशक्ति राष्ट्र और देशवासियों की सेवा में स्वयं को समर्पित करने का संकल्प करें। इस शुभ संकल्प को सिद्ध करने के प्रयास हेतु आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं!
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!