देहरादून। कंगना रनौत ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि अगर देश का शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं होता तो किसान आंदोलन के दौरान पंजाब को भी बांग्लादेश बना दिया जाता। उन्होंने किसान आंदोलन पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे और प्रदर्शन स्थलों पर रेप और हत्याएं हो रही थीं। साथ ही,कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी को लेकर सिख समुदाय में गहरी नाराजगी है। फिल्म के ट्रेलर में सिखों को नफरत का पात्र और निर्दयी, जालिम के रूप में चित्रित किया गया है। इस ट्रेलर में ऐतिहासिक घटनाओं का चित्रण भी गलत और आहत करने वाला है।
अमरजीत सिंह ने कहा कि कंगना रनौत पिछले कुछ वर्षों से लगातार सिख विरोधी बयान देती आ रही हैं। उन्होंने सिखों को कभी खालिस्तानी, उपद्रवी, अलगाववादी और देशद्रोही करार दिया, तो कभी सिख महिलाओं पर अभद्र टिप्पणियां कीं। “यूनाइटेड सिख फेडरेशन” केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से फिल्म इमरजेंसी की रिलीज पर पूरी तरह से रोक लगाने का आग्रह करता है है। साथ ही, केंद्र और राज्य सरकारों से भी इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
अमरजीत सिंह ने कहा कि कंगना रनौत को भारत की आजादी से पहले, और आजादी के बाद से लेकर आज तक, सिख समाज की देश के प्रति कुर्बानियों और देश सेवा में उनके अद्वितीय योगदान के बारे में इतिहास पढ़ना और जानना चाहिए। सिख समाज ने केवल देश में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का नाम गौरवान्वित किया है। उत्तराखंड के समस्त सिख समाज की ओर से देशवासियों, अमन पसंद लोगों और न्याय के समर्थकों से अपील की जाती है कि वे इस फिल्म का बहिष्कार करें। साथ ही, सरकार से यह अपेक्षा की जाती है कि वह फिल्मकार और सांसद कंगना रनौत के खिलाफ उनके हेट स्पीच के तहत दिए गए बयानों पर तत्काल वैधानिक कार्यवाही करे, और ऐसी फिल्मों पर रोक लगाए जो समाज में नफरत फैलाती हैं और समुदायों को विभाजित करती हैं। सरकार को इस मामले में अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।