देहरादून। मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि मूल निवास और भूमि कानून जनता की भावनाओं के अनुरूप होना चाहिए। विधानसभा में कानून पारित होने से पूर्व इसके ड्रॉफ्ट के स्वरूप को लेकर सर्वदलीय और संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के साथ सरकार को चर्चा करनी चाहिए। आम सहमति के बाद ही विधानसभा में मूल निवास और भू-कानून बनने चाहिए।
प्रेस क्लब देहरादून में पत्रकारों से वार्ता करते हुए संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि वर्ष 2022 में भू-कानून को लेकर सुभाष कुमार की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए। उद्योगों के नाम पर दी गई जमीनों का ब्यौरा भी सार्वजनिक होना चाहिए। स्थिति यह है कि जिस प्रयोजन के लिए जमीन दी जा रही है, वहां उस प्रयोजन के बजाय प्रोपर्टी डीलिंग का काम चल रहा है। ऐसे बहुत सारे मामले सामने आ रहे हैं। उत्तराखंड में जितने भी इन्वेस्टमेंट सम्म्मेल हो रहे हैं, वह सब जमीनों की लूट के सम्मेलन थे। इस लूट की जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला जमीनों का है। जमीनों की लूट में शामिल और भू-कानून को कमजोर करने वाले मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, नौकरशाह और इनके करीबियों की गहन जांच भी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में 30 साल से रह रहे व्यक्ति को ही घर बनाने के लिए 200 वर्ग मीटर तक जमीन मिलनी चाहिए। इसके साथ ही मलिन बस्तियों को जमीन का मालिकाना हक नहीं मिलना चाहिए। किसी भी तरह के उद्योग में जमीन के मालिक की बराबर की हिस्सेदारी होनी चाहिए और उद्योगों के लिए जमीन को दस साल की लीज पर ही दी जाय। उन्होंने कहा की प्रदेश में कृषि भूमि की खरीद पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगना चाहिए और शहरी क्षेत्रों में निकायों का विस्तार भी रुकना चाहिए। उन्होंने आंदोलन की रणनीति को लेकर कहा कि केदारनाथ में जल्द स्वाभिमान महारैली आयोजित करेंगे। इसके बाद हरिद्वार, पिथौरागढ़, रामनगर, पौड़ी, विकासनगर सहित अन्य हिस्सों में स्वाभिमान महारैलियाँ आयोजित की जायेंगी। यह आंदोलन निरंतर चलता रहेगा। इस मौके पर संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया, सचिव प्रांजल नौडियाल, संरक्षक मोहन सिंह रावत, कोर मेंबर विपिन नेगी, मनीष गोनियाल आदि मौजूद थे।