देहरादून। सचिव वित्त दिलीप जावलकर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और स्वरोजगार परक गतिविधियों के लिए ऋण देने में सार्वजनिक सेक्टर के बैंकर्स का परफॉर्मेंस प्राइवेट सेक्टर के बैंकों के मुकाबले बहुत ही असंतोषजनक है जो कि स्वीकार करने योग्य नहीं है। उन्होंने सख्ती से निर्देश दिए कि सार्वजनिक सेक्टर के बैंकों का जो मुख्य उद्देश्य होता है उसी के मुताबिक ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आजीविका को समृद्ध करने के लिए अधिक से अधिक ऋण प्रदान करें। उन्होंने सभी बैंकर्स को निर्देश दिए कि विभिन्न विभागों से बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए लाभार्थियों को चिन्हित करें तथा चिन्हित किए गए लाभार्थियों को लाभ प्रदान करने के लिए टारगेट निर्धारित करें तथा उन टारगेट को प्राप्त करने के लिए सख्ती से निगरानी करें। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि जिन जनपदों का सीडी रेशियो अनुपात संतोषजनक नहीं है उनकी प्रगति बढ़ाने के लिए माइक्रो प्लान बनाएं तथा संबंधित जनपद इसकी गहनता से समीक्षा करें।
जुलाई से सितंबर 2024 तक राज्य का समग्र ऋण जमा अनुपात (सीडी रेश्यो) 53.26 प्रतिशत था जबकि पिछले त्रैमास में यह 54 प्रतिशत था। प्राइवेट बैंकों का त्रैमास में ऋण जमा अनुपात 84.57 प्रतिशत रहा जबकि राष्ट्रीयकृत बैंकों का 42.33 प्रतिशत रहा। ऋण जमा अनुपात बढ़ाए जाने के संबंध में आरबीआई, नाबार्ड और बैंकर्स की ओर से महत्त्वपूर्ण सुझाव भी सामने आए। उद्योग विभाग द्वारा ग्लोबल इन्वेस्टर समिट 2023 में चिन्हित निवेशकों/उद्योगपतियों को वित्त पोषित करके विभिन्न औद्योगिक इकाइयों/परियोजनाओं को बैंक ऋण सुविधा प्रदान कर राज्य का ऋण जमा अनुपात बढ़ाया जा सकता है। कृषि एवं एमएसएमई क्षेत्र में बिग टिकट साइज के साथ-साथ अधिक संख्या में स्मॉल टिकट साइज के ऋणों पर भी फोकस करना चाहिए तथा राज्य में स्थापित सूक्ष्म एवं लघु इकाइयों को ऋण प्रदान करना चाहिए। इस दौरान बैठक में एजीएम आरबीआई धीरज कुमार अरोड़ा, एजीएम एसएलबीसी राजीव पंत, सहायक महाप्रबंधक नाबार्ड शोभना सिंह, संयुक्त निदेशक पर्यटन एस. एस. सामंत समेत संबंधित बैंकर्स और अधिकारी उपस्थित थे।