देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने ‘वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च’ के अन्तर्गत सभी विश्वविद्यालयों को राज्य हित में योगदान हेतु उनकी विशेषज्ञता के आधार पर चयनित शोध प्रबंध के निर्देश दिए गए थे। जिसके तहत बुधवार को राजभवन में हेमवती नन्दन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एम.एल.बी. भट्ट द्वारा प्रस्तुतीकरण के माध्यम से अद्यतन प्रगति से राज्यपाल को अवगत कराया कि विश्वविद्यालय द्वारा ‘‘उत्तराखण्ड के राजकीय जिला चिकित्सालयों में ट्रॉमा देखभाल को बढ़ाना’’ विषय पर शोध प्रबंधन का कार्य गतिमान है। प्रो.एमएलबी भट्ट ने बताया कि उक्त शोध एम्स ऋषिकेश के सहयोग से श्रीनगर और हल्द्वानी बेस चिकित्सालयों में किया गया है।
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा किए गए शोध में चिकित्सालयों की आपातकालीन सेवाओं को सुदृढ़ किए जाने, गंभीर रोगियों की पहचान और प्राथमिकता के आधार पर उपचार सुनिश्चित किए जाने और चिकित्सकों एवं कर्मचारियों के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने का सुझाव दिया है। इसके अलावा, बड़ी आपदाओं या दुर्घटनाओं के दौरान प्रभावी प्रबंधन के लिए समर्पित ट्रॉमा टीमों के गठन का सुझाव दिया है।
कुलपति ने बताया कि शोध के माध्यम से राजकीय चिकित्सालयों हेतु सुझाव दिया गया है कि रेफरल प्रक्रियाओं में सुधार लाने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश और प्रोटोकॉल तैयार किए जाने आवश्यक हैं। निकटवर्ती ट्रॉमा सेंटरों के साथ समझौतों और एमओयू आवश्यक हैं ताकि मरीजों के रेफरल, एम्बुलेंस सेवाओं और आपातकालीन सहायता में कोई देरी न हो। यह भी सुझाव दिया गया है कि चिकित्सालयों के आपदा प्रबंधन योजना को अद्यतन किया जाना जरूरी है जिसमें भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का स्पष्ट रूप से उल्लेख हो। राज्यपाल ने शोध में अभी तक के किए गए कार्यों के लिए पूरी टीम की सराहना की और कहा कि यह शोध सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा शोध के माध्यम से दिए गए अंतिम सुझावों को आने वाले समय में उत्तराखण्ड सरकार और भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ साझा किया जाएगा ताकि सुझावों के आधार पर स्वास्थ्य सेवाओं का और अधिक सुदृढ़ीकरण हो सके। इस अवसर पर अपर सचिव स्वाति एस.भदौरिया,संयुक्त निदेशक सूचना डॉ. नितिन उपाध्याय भी उपस्थित थे।