चुनावी राय को लेकर आखिर जनता क्यों है खामोश ?

आँचल

प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अब कुछ ही दिनों का समय शेष बचा है। जिसको लेकर सियासी सरगर्मियां तेज़ हो गयी है। तो कही राजनैतिक पार्टियो के अंदर दलबदल का सिलसिला तेज़ हो गया है कही वहीं सीटों को लेकर मतभेद जारी है। लेकिन सभी दल सियासी दौड़ में इतने व्यस्त है कि जनता क्या चाहती है और क्या उम्मीदे कर रही है I इस सबका उनके लिए कोई मायने नहीं है I इस सब के बीच मुख्य बात जो सामने आ रही है कि प्रदेश की जनता अपनी राय को लेकर चुप्पी साधे हुए है I जनता की इस चुप्पी का क्या मतलब निकाला जाए I क्या सरकार के कामकाज से जनता खुश नहीं है या और कुछ ?

आज जब हमारी न्यूज़ इंडिया अलर्ट की टीम जनता के बीच चुनावी मुद्दों को लेकर उनकी राय लेने पहुंची तो जनता कुछ कहने को राज़ी नही हुयी। सभी का यही कहना था कि हमे चुनाव को लेकर कोई राय या विचार व्यक्त नही करना। आखिर जनता क्यों चुनावी मुद्दों को लेकर बात नही करना चाहती । उनकी चुप्पी का क्या मतलब है क्या वे सरकार से नाराज़ है या गुस्सा? क्या जो जनता को सरकार से उम्मीदे थी वो पूरी नही हो पायी।
ये सोचने वाला विषय है कि लोकतांत्रिक देश में जनता अपने राय व्यक्त नही करना चाहती। उनका मानना है कि वो चाहे कुछ भी कह ले उनके कहने से कुछ नही होने वाला। तो अब जनता सत्ताधीशों की मनमानी के आगे हार मान चुकी है I

कहाँ गया जनता के लिए बेरोजगारी का मुद्दा , कहाँ गया राज्य में पलायन , महंगाई सहित तमाम वो सब जो धरने व जलूसों के रूप में आए दिन सडको पर नज़र आते रहे ? जबकि यही मौका होता है अपनी बेबाक राय रखकर अपने मत का एहसास कराने का I आखिर ऐसा क्यों हो रहा है कि जनता अपने मताधिकार का महत्व नही जान पा रही। इसका जिम्मेदार कौन है ? ये बहुत बड़ा सवाल है ,क्यों जनता खामोश है ? शायद इस सवाल का जवाब भी तलाशना होगा।