देहरादून। विश्व दूरसंचार दिवस के अवसर पर, कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर, दूरसंचार विभाग और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के बीच भारत में दूरसंचार सेक्टर को डिजास्टर रेजिलिएंस बनाने पर ध्यान देने के साथ बहु-हितधारक चर्चाओं की एक सीरीज आयोजित की गई। इस मीटिंग का उद्देश्य टेलीकॉम सेक्टर के लिए डिजास्टर रेजिलिएंस के लिए एक नेशनल फ्रेमवर्क तैयार करना था। यह मीटिंग देहरादून के स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर में आयोजित की गईं।
इसका उद्देश्य एक डिजास्टर रिस्क एंड रेजिलिएंस असेसमेंट फ्रेमवर्क विकसित करने पर चल रही परियोजना के लिए विविध हितधारकों के विचारों को इकट्ठा करना था यह परियोजना राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मार्गदर्शन में डीओटी इंडिया के सहयोग से सीडीआरआई द्वारा संचालित की जा रही है और इसका उद्देश्य उत्तराखंड सहित भारत में चयनित राज्यों के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर भारतीय दूरसंचार क्षेत्र की सहनशीलता को बढ़ाना है।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में संजय अग्रवाल, उप महानिदेशक, आपदा प्रबंधन विंग, डीओटी भी शामिल थे, जिन्होंने परियोजना के अवलोकन पर अंतर्दृष्टि प्रदान की और अध्ययन के परिकल्पित परिणाम के बारे में बताया। प्राइस वॉटर हाउस कूपर्स प्राइवेट लिमिटेड, जो परियोजना को क्रियान्वित कर रही है, ने लाइन विभागों के प्रतिभागियों को उनके इनपुट और फीडबैक लेने के लिए प्रमुख परियोजना हाइलाइट्स पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी। सविन बंसल, अतिरिक्त सचिव, यूएसडीएमए, डॉ. पीयूष रौतेला, कार्यकारी निदेशक, आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (डीएमएमसी), अशोक कुमार रावत, डीडीजी (सी), एलएसए, उत्तराखंड और भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस), यूपीसीएल, पीडब्ल्यूडी, अग्निशमन और आपातकालीन सेवा विभाग, आईटीडीए, स्वास्थ्य, वन विभाग और यूकोस्ट सहित विभिन्न विभागों ने परामर्श में भाग लिया।