देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में भारतीय क्रान्तिकारी एवं स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत चन्द्रशेखर आजाद जी की पुण्यतिथि के अवसर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनके चित्र में मालार्पण कर उन्हें श्रद्वांजलि अर्पित की। क्रातिकारी आजाद का स्मरण करते हुए प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि आजाद जी ने लाला लालपत राय की मौत का बदला लेेने के लिए सॉन्डर्स पर गोलीबारी करते हुए भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू के साथ मिलकर हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सभा का गठन किया। उन्होंने कहा कि चन्द्रशेखर आजाद एक महान भारतीय क्रान्तिकारी के साथ-साथ उनकी उग्र देशभक्ति और साहस ने उनकी पीढ़ी के लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आजाद अमृतसर में हुए जलियां वाला बाग हत्याकाण्ड से बहुत आहत और परेशान हुए।
उन्होंने कहा कि जब महात्मा गांधी द्वारा चलाये गये असहयोग आन्दोलन की शुरूवात की गई तब चन्द्रशेखर आजाद ने क्रान्तिकारी गतिविधि मंे सक्रिय रूप से भाग लिया। तत्पश्चात उन्हें 15 वर्ष की आयु में पहली सजा मिली। उन्होंने कहा कि आजाद जी को क्रान्तिकारी गतिविधियों में भाग के कारण पकड़ा गया। जब मजिस्टेªट ने उनसे उनका नाम पूछा उन्होंने अपना नाम आजाद बताया। उन्होंने कहा आजाद जी को मजिस्टेªट द्वारा 15 कोडों की सजा सुनाई गई। चाबुक के हर एक प्रहार पर चन्द्रशेखर आजाद ’’भारत माता की जय’’ चिल्लाते थे तब उन्हें आजाद नाम नाम की उपाधि प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि चन्द्रशेखर आजाद ने कसम खाई थी कि वह ब्रिटिश सरकार के हाथों कभी भी गिरफतार नही होंगे और आजादी की मौत मरेंगे। बिष्ट ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि उन्हें उन वीर क्रान्तिकारियों के इतिहास को पढ़ना चाहिए जिनके कारण आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष के सलाहकार सरदार अमरजीत सिंह ने चन्द्रशेखर आजाद को याद करते हुए कहा कि अपनी क्रान्तिकारी गतिविधियों से आजाद जी ब्रिटिस पुलिस के लिए दहशत बन चुके थे और किसी भी तरह उन्हंे जिन्दा या मुर्दा पकड़ना चाहती थी। उन्होंने कहा चन्द्रशेखर आजाद इलाहबाद में अपने सहयोगियों से मिलने गये थे उसी दौरान पुलिस ने पार्क को चारों तरफ से घेरकर उन्हें आत्मसमपर्ण का आदेश दिया। चन्द्रशेखर आजाद ने अकेले ही वीरतापूर्वक लड़ते हुए तीन पुलिसवालों का मार गिराया। परन्तु अंतिम समय में जब उन्हंे बच निकलने को कोई भी रास्ता नही दिखा तो उन्होंने खुद अपनी प्रतिज्ञा का पालन करते हुए स्वयं को गोली मार दी। श्री सिंह ने कहा कि उनका नाम देश के बडे़ क्रान्तिकारियों में शुमार है और उनका सर्वोच्च बलिदान देश के युवाओं को सदैव प्रेरित करता रहेगा। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के सलाहकार सरदार अमरजीत सिंह, महानगर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष लाल चन्द शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट, शैलेन्द्र करगेती, अनुराधा तिवाडी, जौनसार बाबर साक्षी कला मंच के अध्यक्ष बचन सिंह राणा, सावित्री थापा एवं मंजु आदि उपस्थित थे।