जैविक कृषि को प्रोत्साहित करेगी पीएम प्रणाम योजना: भट्ट

देहरादून, नीरज कोहली। भाजपा ने पीएम प्रणाम योजना को किसान और खेती किसानी के लिए क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला बताते हुए कहा कि यह योजना धरती की सेहत के लिए रिटर्न गिफ्ट और राज्य की जैविक कृषि को प्रोत्साहित करेगी।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि 3.70 लाख करोड़ की इस योजना को मंजूरी देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि भूमि व कृषकों को बड़ी सौगात देने का काम किया है । उन्होंने कहा कि पीएम प्रणाम योजना का मकसद वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देना और रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को कम करना हैं ।

श्री भट्ट ने पीएम प्रणाम योजना को उत्तराखंड की कृषि के परिप्रेक्ष्य में भी बेहद लाभकारी बताया । उन्होंने कहा कि इस योजना में यूरिया पर निर्भरता को जैविक खाद में बदलने वाले राज्य कि बची सब्सिडी उन्हे अलग से देने का प्रावधान किया गया हैं । इसी तरह गोबर संयंत्रों व अन्य माध्यमों से जैविक खाद को बढ़ावा देने के लिए 1,451 करोड़ रुपये की सब्सिडी के परिव्यय का भी अधिक से अधिक लाभ राज्य लेने का प्रयास करेगा । लिहाजा राज्य में भाजपा सरकार की जैविक कृषि को बढ़ावा देने की नीति और पारंपरिक खेती में वृद्धि की संभावनाओं को इस योजना से जबरदस्त लाभ मिलना तय है । चूंकि आने वाला समय ऑर्गेनिक खेती का है, ऐसे में आने वाले समय में हमारा इस क्षेत्र में देश का नेतृत्व करना तय है।
उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत मौजूदा यूरिया सब्सिडी योजना को मार्च 2025 तक जारी रखने का भी फैसला किया गया है । साथ ही मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करने के लिए पहली बार देश में सल्फर-लेपित यूरिया पेश करने का निर्णय भी ऐतिहासिक साबित होगा। इस योजना के तहत प्राकृतिक व ऑर्गेनिक खेती, वैकल्पिक फर्टिलाइजर, नैनो फर्टिलाइजर और जैव फर्टिलाइजर को बढ़ावा देने से हमारी धरती माता की उर्वरता को बहाल करने में मदद मिलेगी। मोदी सरकार ने बजट में वैकल्पिक फर्टिलाइजर और रासायनिक फर्टिलाइजर के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने और राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए PM PRANAM योजना के अपने वादे को शुरू किया है।

श्री भट्ट ने पीएम मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह योजना सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे किसी सरकारी योजना से तात्कालिक लाभ के साथ साथ भविष्य की संभावनाओं को भी बेहतर किया जा सकता है । इस योजना में धरती की पुनर्स्थापना, जागरूकता, सृजन, पोषण और सुधार के लिए कार्यक्रम आदि विषयों से ही “पीएम-प्रणाम” की सार्थकता स्पष्ट हो जाती है । उन्होंने विश्वास जताया कि इस योजना और जनसहभागिता से हम प्रदेश में भी मिट्टी को बचाने और उर्वरकों के निरंतर संतुलित उपयोग की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेंगे ।