रुद्रप्रयाग। जिले के जंगल इन दिनों आग की लपटों से घिरे हुए हैं। चारों और आसमान में फैली धुंध से साफ पता चल रहा है कि शहर से लेकर गांव में जंगल आग में झुलस रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद वन विभाग लाचार दिख रहा है और पर्यावरण विशेषज्ञ चिंता में नजर आ रहे है। जंगलों मे ंलगी आग शहरों के नजदीक पहुंच रही है, जिससे गर्मी का अहसास भी सबसे ज्यादा हो रहा है। लंबे समय से रुद्रप्रयाग में बारिश नहीं हो रही है। केदारघाटी के ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बूंदाबांदी देखने को मिल रही है, लेकिन निचले क्षेत्रों में बारिश नहीं हो रही है। ऐसे में एक ओर बारिश नहीं होने से लोग परेशान हैं, तो दूसरी ओर जंगलों में लग रही आग के कारण गर्मी का सितम बढ़ता जा रहा है। जिससे पर्यावरण विशेषज्ञ खासे चिंतित नजर आ रहे हैं। पर्यावरण विशेषज्ञ हिमालयी क्षेत्रों में बढ़ रही मानवीय गतिविधियों को मौसम में आये बदलाव का कारण मान रहे हैं।पर्यावरण विशेषज्ञ देवराघवेन्द्र बद्री ने कहा कि जंगलों में लगाई जा रही आग पर्यावरण के लिए बेहद ही नुकसानदायक है। हिमालयी क्षेत्रों में निर्माण कार्य होने और जंगलों में आग लगने से मौसम में बदलाव आ गया है। जंगलों में लग रही आग से वन्य जीव जंतुओं का अस्तित्व भी खत्म होता जा रहा है और जंगलों में पाई जाने वाली औषधीय और जड़ी-बूटियां भी नष्ट हो रही हैं। उन्होंने कहा कि हिमालय खतरे में नजर आ रहा है। केदारघाटी से पूरे देश में शुद्ध वातावरण का संचार हो रहा है, उसके भी अस्तित्व पर अब खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
युवा नेता आशीष कंडारी ने बताया कि तिलवाड़ा और रामुपर बाजार के ठीक ऊपर के जंगलों में भीषण आग लगी हुई है। आग को बुझाने में वन विभाग देरी कर रहा है, जिससे आग की लपटें अन्य जंगलों को अपनी चपेट में लेकर नुकसान पहुंचा रही हैं। वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता देवेन्द्र बिष्ट और राहुल पटवाल ने बताया कि जिले के जखोली, अगस्त्यमुनि, बसुकेदार और ऊखीमठ तहसील अंतर्गत विभिन्न गांवों के जंगलों में आग लगी हुई है, जिससे लाखों की वन संपदा जलकर राख हो चुकी है। लाखों की वन संपदा के साथ ही वन्य जीव जंतुओं को भी नुकसान पहुंच रहा है, लेकिन इसके बावजूद वन विभाग कोई कार्रवाई करता दिखाई नहीं दे रहा है।