देहरादून। गुच्चूपानी के पास जमीन पर अवैध कब्जा करने के लिए भू माफिया ने मृत महिला संत को जिंदा दिखा दिया। यही नहीं महिला की जगह उन्हें पुरुष दर्शाकर फर्जी तरीके से जमीन को कब्जा लिया गया। करीब 25 करोड़ रुपये कीमत की जमीन को अवैध तरीके से कब्जाने की शिकायत डीएम से हुई तो जांच की गई। । जांच में धांधली खुलकर सामने आ गई। आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने व भूमि को राज्य सरकार में निहित किये जाने के आदेश दिए गए हैं। जनता दरबार में ग्राम अनारवाला के भूतपूर्व सैनिक कल्याण समिति के अध्यक्ष एवं गुच्चूपानी, जौहड़ी एवं चंद्रोटी के ग्रामीणों ने डीएम सोनिका को शिकायती पत्र देकर बताया कि गुच्चूपानी में एक प्राचीन जल स्रोत है। इसका उपयोग ग्रामीण वर्षों से पीने के पानी के रूप में करते आ रहे हैं। स्रोत के ऊपर एक बड़ा बगीचा व संन्यासी महिला का मंदिर होता था। अब भूमाफिया उस जमीन पर प्लाटिंग का प्रयास कर रहे हैं।
डीएम सोनिका ने तहसीलदार सदर मो. शादाब को इस मामले की जांच के आदेश दिए। तहसीलदार मो. शादाब के अनुसार जांच में पाया गया कि विवादित स्थल गुच्चूपानी के समीप राजस्व ग्राम चंद्रोटी का हिस्सा है। इस भूमि का बाजार मूल्य कम से कम 20-25 करोड़ रुपये हैं। राजस्व अभिलेखों में यह जमीन बिंदा गिरी चेला लक्ष्मण गिरी के नाम दर्ज है। यह भूमि बिंदा गिरी के नाम वर्ष 1953 से चली आ रही है। 25 मई 2022 को अचानक सब-रजिस्ट्रार द्वितीय देहरादून कार्यालय में बिंदा गिरी चेला लक्ष्मण गिरी निवासी 65 सी कनखल हरिद्वार की ओर से सतीश कुमार गुप्ता पुत्र रामानंद गुप्ता निवासी विजयपुर हाथीबड़कला नयागांव देहरादून को गिफ्ट डीड कर दी जाती है। दाखिल खारिज भी अप्रैल 2023 में ही हो जाता है। राजस्व अभिलेखों में बिंदा गिरी नामक व्यक्ति 1963 में व्यस्क अर्थात् 18 वर्ष से अधिक आयु का बताया गया है, इसलिए वर्ष 2024 में उनकी उम्र लगभग 90 वर्ष होनी चाहिए। ऐसी दशा में संदेह की स्थिति उत्पन्न होती है।
बिंदा गिरी के आधार कार्ड की जांच की गई तो यह तथ्य निकलकर आया कि बिंदा गिरी का आधार कार्ड फर्जी है। उस नंबर पर कोई आधार कार्ड जारी ही नहीं हुआ है। बिंदा गिरी के कनखल हरिद्वार स्थित पते पर जांच की गई तो ऐसा कोई पता एवं व्यक्ति नहीं पाए गए। न्यायालय तहसीलदार देहरादून में दाखिल खारिज की पत्रावली को तलब कर सुनवाई की गई। जिस व्यक्ति सतीश कुमार गुप्ता के नाम गिफ्ट डीड हुई है, उसने बिंदा गिरी का पुरुष होना स्वीकार किया, जबकि जांच में बिंदा गिरी के महिला होने के तथ्य प्रकाश में आए। महिला को पुरुष दर्शाकर करोड़ों की भूमि हड़पने का कार्य किया गया। यह भी सामने आया कि बिंदा गिरी की मृत्यु वर्ष 1980 के दशक में हो चुकी है। उनकी कोई भी संतान नहीं थी। ऐसी स्थिति में यह भूमि राज्य सरकार में निहित हो जानी चाहिए थी। प्रक्रिया का पालन न होने के कारण भूमाफिया ने फर्जी व्यक्ति को सब-रजिस्ट्रार के सामने प्रस्तुत कर पहले गिफ्ट डीड कराई। इसके बाद दाखिल खारिज भी करवा लिया। दाखिल खारिज को निरस्त कर दिया गया है। सब-रजिस्ट्रार को यह निर्देश दिए गए कि तत्काल भूमाफिया व फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले तथा धांधली में शामिल सभी व्यक्तियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाए। इसके अतिरिक्त भूमि को राज्य सरकार में निहित किए जाने की रिपोर्ट उपजिलाधिकारी सदर देहरादून को भेजी गई है। तहसील देहरादून में ऐसे अन्य मामले होने की आशंका है। इसलिए पटवारियों को खतौनियों की पड़ताल कर ऐसी भूमि राज्य सरकार में निहित करने की रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।