देहरादून। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस महामंत्री राजेन्द्र शाह ने राज्य मे लागू यूसीसी में लिव इन रिलेशन का प्रावधान किये जाने पर आपत्ति दर्ज करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिख कर राज्य में लिव इन रिलेशन का प्रावधान समाप्त किये जाने की मांग की। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में प्रदेश महामंत्री राजेन्द्र शाह ने कहा कि उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में यू.सी.सी.लागू किया गया है। उत्तराखंड सदियों से अपनी धार्मिक,सांस्कृतिक और पारंपरिक मूल्यों के लिए प्रसिद्ध है तथा यहां का समाज सनातन परंपराओं और पारिवारिक संस्कारों पर टिका हुआ है। देवभूमि की सांस्कृतिक और नैतिक मर्यादाओं को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि यू.सी.सी. से लिव-इन-रिलेशनशिप जैसे प्रावधानों को हटाया जाना चाहिए। राज्य में यू.सी.सी. लागू होने के उपरान्त जिस गति से लिव-इन रिलेशनशिप जैसी प्रथाएं तेजी से पैर पसार रही हैं। यह न केवल हमारी सामाजिक संरचना को कमजोर करेगा, बल्कि युवाओं को नैतिक रूप से भटकाने का भी कार्य करेगा, बावजूद, राज्य सरकार ने यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता देने का काम किया है, जो सर्वथा अनुचित है। यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप के प्रावधान के कारण निम्न दूरगामी परिणामों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि संस्थानिक विवाह की अवहेलनाः- लिव-इन रिलेशनशिप पवित्र वैवाहिक संबंधों को कमजोर करने के साथ ही परिवार नामक संस्था को नष्ट करने की दिशा में ले जायेगा। महिलाओं के प्रति अन्यायः- लिव-इन रिलेशनशिप में महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर कोई ठोस कानूनी प्रावधान नहीं हैं, जिससे उन्हें भावनात्मक और सामाजिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। बच्चों का भविष्य अनिश्चितः-यदि ऐसे रिश्तों से संतान उत्पन्न होती है तो उनके कानूनी अधिकार और सामाजिक पहचान संकट में पड़ जाती है। नैतिक और सांस्कृतिक गिरावटः- उत्तराखंड जैसे धार्मिक राज्य में ऐसी प्रथाएँ हमारी आध्यात्मिकता और पौराणिक संस्कृति को कमजोर करने का काम करेंगी। अपराध और धोखाधड़ी में वृद्धिः- कई बार ऐसे संबंधों में धोखा, विश्वासघात, घरेलू हिंसा और हत्या तक की घटनाएँ सामने आती हैं। समाज में अस्थिरताः- यदि लिव-इन रिलेशनशिप को सामान्य बना दिया गया, तो परिवार नाम की संस्था कमजोर होगी, जिससे समाज में अस्थिरता और नैतिक पतन की ओर बढ़ेगी।
राजेन्द्र शाह ने कहा कि यूसीसी के अध्याय 5 का नियम 4 कहता है कि माता पिता की डिटेल्स तभी देनी होगी जब दोनों पार्टनर्स में किसी एक की आयु 21 वर्ष से कम हो तथा सरकार का ये कथन कि इससे रोक लगेगी लिव इन रिलेशनशिप में ये पूर्णतः असत्य है। कोई भी व्यक्ति यहाँ की महिलाओं के साथ रहेगा और जब मन करे एक प्रार्थना पत्र देकर छोड़ देगा ये कैसा महिला सम्मान है। उन्होंनें कहा कि सरकार संविधान की धारा 44 का सहारा लेकर यूसीसी तो ला सकती है लेकिन एक ऐसा कृत्य जो पूर्णतः भारतीय संस्कृति के विपरीत है उस कृत्य को यूसीसी में दायरे में लाना मतलब देवभूमि की संस्कृति उसके रीति-रिवाजों के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। उत्तराखंड सरकार राज्य में लागू यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप की मान्यता को समाप्त करती है तो यह न केवल हमारी संस्कृति की रक्षा करेगा, बल्कि समाज में नैतिक मूल्यों को बनाए रखने में भी सहायक होगा। राजेन्द्र शाह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग करते हए कहा कि इस विषय पर गंभीरता से विचार करें और देवभूमि उत्तराखंड को आधुनिक विकृतियों से बचाने हेतु यूसीसी से लिव-इन रिलेशनशिप का प्रावधान समाप्त करें।