देहरादून। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में मानसून सत्र के तीसरे दिन विपक्ष की गैरमौजूदगी में 5013.05 करोड़ का अनुपूरक बजट,सात विधेयक पारित किए। वहीं,दो विधेयकों को प्रवर समिति को सौंपा गया। वहीं विपक्ष ने आपदा के मुद्दे पर सदन के बाहर और अंदर हंगामा किया। आपदा पर चर्चा के लिए पर्याप्त समय न देने पर विपक्ष से सदन से वॉक आउट किया। तीन दिवसीय सत्र में सदन की कार्यवाही 18 घंटे 9 मिनट चली।
जो सात विधेयक पारित हुए उनमें उत्तराखंड( उत्तर प्रदेश नगर पालिकाअधिनियम 1916)संशोधन विधेयक 2024, उत्तराखंड लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक 2024, उत्तराखंड राज्य विधानसभा विविध संशोधन विधेयक 2024, उत्तराखंड ( उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950)संशोधन विधेयक, उत्तराखंड राज्य क्रीड़ा विश्वविद्यालय विधेयक 2024, उत्तराखंड कामगार और सुधारात्मक सेवाएं विधेयक 2024 व उत्तराखंड विनियोग विधेयक 2024 शामिल हैं। विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों के विरोध के चलते उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश) नगर निगम अधिनियम, 1959 संशोधन विधेयक सदन में पारित नहीं हो सका। सरकार को बिल प्रवर समिति के हवाले करना पड़ा। प्रवर समिति एक महीने में अपनी सिफारिशें देगी। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी प्रवर समिति के सदस्य तय करेंगी। इसके अलावा राज्य विवि विधेयक भी प्रवर समिति को भेज दिया गया। इस विधेयक पर भी सत्ता पक्ष के विधायक ने एतराज जताया। सदन में जब अपनी ही सरकार के विधेयक को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक सवाल उठा रहे थे, उस दौरान विपक्ष सदन से अनुपस्थित था। सदन पटल पर आए विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चैहान ने ओबीसी के लिए हुए रैपिड सर्वे पर सवाल उठाए। कहा, कास्ट बेस्ड सर्वे जाति माता-पिता से होती है न कि स्थान से तय होता है। कहा, राज्य की डेमोग्राफिक प्रोफाइल पर चिंता करने की जरूरत है। विधायक विनोद चमोली, प्रीतम पंवार, दुर्गेश्वर लाल शाह ने भी सर्वे पर सवाल उठाया। कहा, विषय को प्रवर समिति के पास भेज दिया जाए। इस विषय काफी चर्चा हुई। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और सौरभ बहुगुणा ने भी पक्ष रखा। बाद में संसदीय कार्यमंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल ने प्रस्ताव किया कि विधेयक को प्रवर समिति को सौंप दिया जाए। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने कहा, इसे प्रवर समिति को भेजा जाएगा। समिति एक महीने में प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी। उसकी अनुशंसा नगर पालिका और नगर पंचायत पर भी लागू होगी। सत्तापक्ष के सदस्य के एतराज पर राज्य विवि विधेयक प्रवर समिति को भेज दिया गया। यह विधेयक विस में आठ सितंबर-2023 को पारित हुआ था। इसे राजभवन ने संदेश सहित विस को पुनर्विचार के लिए लौटा दिया था। इसे संशोधन सहित विचार के लिए रखा गया। चर्चा के दौरान विधायक सुरेश गडिया ने विधेयक में संशोधन की मांग करते हुए प्रवर समिति को भेजने की मांग की। इस पर संसदीय कार्य मंत्री ने इसका प्रस्ताव किया। कहा, प्रवर समिति के सदस्य भी विस अध्यक्ष तय करें। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने और समिति को एक महीने में अपना प्रतिवेदन देने का आदेश दिया। तीन दिन में सदन की कार्यवाही 18 घंटे 9 मिनट चली।