देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) से शुक्रवार को राजभवन में अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक एवं जैन मुनि आचार्य लोकेश ने भेंट कर अक्षय तृतीया के पावन पर्व एवं परशुराम जयंती पर शुभकामनाएँ दी। इस अवसर पर आचार्य लोकेश ने राज्यपाल को उनके द्वारा सिंगापुर, अमेरिका व ब्रिटेन की सम्विपन विश्व शांति एवं सद्भावना यात्रा की विस्तृत जानकारी दी और साथ ही अहिंसा विश्व भारती संस्था के आगामी कार्यक्रमों से अवगत कराया। राज्यपाल ने आचार्य लोकेश को अमेरिकन प्रेसिडेंशियल अवार्ड से सम्मानित होकर भारत लौटने पर उन्हें बधाई देते हुए कहा कि आचार्य लोकेश ने मानवतावादी कार्यों से विश्व में भारत देश व संस्कृति का गौरव बढ़ाया है।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि भारत के ऋषि-मुनियों का ज्ञान और तपस्या विश्व में शांति एवं सद्भावना का मार्ग प्रशस्त करता है और वर्तमान में विश्व, भारतीय संस्कृति एवं आस्थाओं को सम्मान की दृष्टि से देख रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा में आदिकाल से ही विश्व के कल्याण की कामना की जाती है, और जिस प्रकार भारत अपने पुरातन वैभव को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, उसमें हमारे ऋषि-मुनियों का योगदान बहुत अहम है।
राज्यपाल ने कहा कि जैन धर्मगुरुओं ने पूरे विश्व को करुणा और संयम का अभिनव ज्ञान दिया है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में लोग भगवान महावीर के 2550वें निर्वाण वर्ष को मना रहे हैं और विश्व शांति की कामना कर रहे हैं और आज उनकी दी हुई शिक्षाओं का पालन कर रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि भगवान महावीर जी ने जैन धर्म के मूल मंत्रों के माध्यम से मानवता को एक उच्च स्तर पर प्रेरित किया। उनकी अनमोल शिक्षाओं में अहिंसा, सत्य, असंगता, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य की महत्ता शामिल है। उनके उपदेशों के आलोक में ही जैन समाज के मुनियों ने अपने जीवन को समर्पित किया। राज्यपाल ने कहा कि जैन मुनियों का जीवन अपरिहार्य रूप से अहिंसा, तपस्या, संयम और सेवा के माध्यम से अलौकिक स्थिति की प्राप्ति का उदाहरण है। उनकी अद्वितीय ध्यान और साधना का परिणाम है कि वे सम्पूर्ण समाज के लिए आदर्श बने हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी इस पवित्र परंपरा को समर्पित होकर अपने जीवन में नैतिकता, शांति, और सामर्थ्य का विकास कर सकते हैं। भेंट के उपरांत राज्यपाल एवं जैन आचार्य लोकेश जी ने अक्षय तृतीया के अवसर पर राजभवन स्थित राजलक्ष्मी गौशाला में गायों को भोजन कराकर गौ सेवा की तथा राजप्रज्ञेश्वर शिव मन्दिर में पूजा कर विश्व कल्याण की कामना की।