तीर्थपुराहितों ने बोर्ड के भंग करने को बताया सही
देहरादून: देवस्थानम बोर्ड को लेकर दिए गये बयान के बाद एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रदेश के तीर्थपुरोहितों के निशाने पर है I केदार सभा के साथ ही केदारनाथ धाम के तीर्थपुरोहितों ने उनके बयान का कड़ा विरोध किया है।
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री ने शनिवार को देवस्थानम बोर्ड को लेकर एक बयान दिया था,जिसमे उन्होंने कहा था कि “पहले देवस्थानम बोर्ड होता तो उसकी आय से जोशीमठ का पुनर्निर्माण हो जाता। जिस पर उत्तराखंड के तीर्थपुरोहितों ने उनका जमकर विरोध किया I
जिसके बाद चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने यह तक कह दिया कि मंदिरों और सनातन धर्म को लेकर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की स्थिति एक जैसी है।
वहीं, केदारसभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के देवस्थानम बोर्ड पर दिए बयान का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अपने बयान से क्या साबित करना चाहते हैं यह समझ से परे है। देवस्थानम बोर्ड का गठन एक सोची समझी साजिश के तहत त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था और उन्हें सीएम की कुर्सी गवांनी पड़ी थी I कहा कि यदि देवस्थानम बोर्ड को भंग नहीं किया जाता तो दो वर्ष में ही बोर्ड कैसे इतनी संपत्ति अर्जित करता कि जोशीमठ के आपदा पीड़ितों की मदद कर पाता। इस बारे में भी त्रिवेंद्र रावत को बताना चाहिए।
वयोवृद्ध तीर्थपुरोहित कुबेरनाथ पोस्ती ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड को भंग करना सही कदम था। पूर्व मुख्यमंत्री का यह बयान कि देवस्थानम बोर्ड से जोशीमठ के आपदा पीड़ितों की मदद की जा सकती थी, यह पूरी तरह असत्य है।
देवस्थानम बोर्ड के पास कोई ऐसा स्रोत नहीं था, जो अपनी करोड़ों में आय अर्जित कर सकता। भाजपा को स्पष्ट करना चाहिए कि वह इस बयान के समर्थन में हैं या नहीं।
वहीं, केदारसभा के पूर्व महासचिव शंकर बगवाड़ी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री का बयान राजनीति से प्रेरित है। चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि जब त्रिवेंद्र रावत मुख्यमंत्री थे, उस समय भी जोशीमठ के भूस्खलन को लेकर रिपोर्ट आई थी। उस समय त्रिवेंद्र रावत ने कुछ कदम क्यों नहीं उठाए।
उन्होंने कोशिश की होती तो आज जोशीमठ में यह स्थिति नहीं होती। उत्तराखंड चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के महासचिव डा. बृजेश सती का कहना है कि रैणी में ऋषि गंगा आपदा खुद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के दौरान आई थी और देवस्थानम बोर्ड के अध्यक्ष भी थे तो उन्होंने इस दौरान बोर्ड की तरफ से किस प्रकार की सहायता आपदा प्रभावितों को दी ये भी सार्वजनिक करना चाहिए। उन्हें यह भी याद दिलाना चाहिए कि अभी भी रैणी आपदा में प्रभावितों का विस्थापन नहीं हुआ है।