हल्द्वानी।हल्द्वानी और राज्य के अन्य क्षेत्रों में हो रही घटनाओं को जिक्र करते हुए गठबंधन के सदस्य दलों एवं जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने आज संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि राज्य में पुलिस प्रशासन कानून के अनुसार काम करने के बजाय पक्षपात और मनमानी तरीकों से काम कर रहा है। हल्द्वानी के कुछ इलाकों में लगातार अल्पसंख्यक दुकानदारों और भवन मालिकों को धमकाने की वजह से सौ से ज्यादा दुकाने हफ्तों तक बंद रही, लेकिन जिम्मेदार व्यक्तियों पर कोई कानूनी कारवाई नहीं दिख रही है।
हम पहले भी प्रदेश के महामहिम राज्यपाल और प्रदेश सरकार से मांग कर चुके हैं की हाई कोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया जाए और इस प्रकार की घटनाओं की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए जिससे उत्तराखंड की छवि पूरे देश में खराब ना हो,और पीड़ितों को न्याय मिले,और दोषियों को दंड, बयान में कहा गया है कि राज्य के अन्य क्षेत्रों से भी ऐसी खबरें आ रही है। वन अधिकार कानून, शहर में मलिन बस्तियों का पुनर्वास एवं नियमितीकरण कानून, और अन्य जनहित नीतियों पर अमल करने के बजाय लोगों के जमीनों एवं मकानों को अतिक्रमण के रूप में दिखा कर मनमाने तरीकों से हटाया जा रहा हैं। हल्द्वानी में 8 फरवरी को हुई निंदनीय हिंसक घटना पर न्यायिक जांच कराने के बजाय, पुलिस प्रशासन मनमानी पर अड़ा हुआ है
संयुक्त बयान में कहा कि प्रेस में आई हुई खबरों के अनुसार, लोगों की गाड़ियों और अन्य सम्पतियों की तोड़ फोड़ हुई है, महिलाओं और बच्चों पर मार पीट हुई है, और कानून के अन्य उलंघन भी हुए हैं। आज तक मृतकों एवं घायल हुए नागरिकों और कर्मचारियों के लिए मुआवजा घोषित नहीं हुआ है। इस बीच में सरकार की मनमानी की वजह से अंकिता भंडारी के परिजनों को फिर धरना पर बैठना पड़ा है। अंकिता भंडारी के परिजनों को न्याय देने की जगह सरकार तानाशाही रवैया अपनाए हुए हैं जो सरासर गलत है। इन सारी घटनाओं से कानून व्यवस्था खतरे में आ रही हैं। पुलिस प्रशासन को अगर लगता है की कार्रवाई की आवश्यकता है तो कारवाई जरूर करे, लेकिन कार्रवाई निष्पक्ष एवं कानून के अनुसार होनी चाहिए। इसलिए इन मुद्दों को ले कर पुलिस महानिदेशक एवं मुख्य सचिव से मिलने के लिए प्रयास लगातार प्रयास जारी है। इसके अतिरिक्त आने वाले दिनों में अन्य कार्यक्रमों द्वारा इन मुद्दों पर आवाज उठायी जाएगी। इस मौके पर शीशपाल सिंह बिष्ट, संयोजक, इंडिया गठबंधन और सिविल सोसायटी, डा. एसएन सचान, राष्ट्रीय सचिव, समाजवादी पार्टी, समर भंडारी, राष्ट्रीय काउंसिल सदस्य, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी, राजेंद्र नेगी, राज्य सचिव, भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), इंद्रेश मैखुरी, राज्य सचिव, भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (माले) व उमा सिसोदिया, पूर्व उपाध्यक्ष, आम आदमी पार्टी शामिल रहे।