देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व तथा निर्देशन में केदारघाटी में अतिवृष्टि के चलते मार्ग अवरुद्ध होने से विभिन्न स्थानों पर रुके यात्रियों का रेस्क्यू अभियान मंगलवार को पूरा हो गया है। 31 जुलाई को केदारघाटी में अतिवृष्टि के चलते केदारनाथ पैदल मार्ग में अलग-अलग स्थानों पर फंसे यात्रियों को सकुशल रेस्क्यू करने के लिए मा0 मुख्यमंत्री ने स्वयं रेस्क्यू अभियान की सतत निगरानी की। मुख्यमंत्री ने प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने तथा लोगों का रेस्क्यू करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। मुख्यमंत्री ने स्वयं दो बार आपदाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया। राहत और बचाव कार्यों में लगी टीमों को जिन भी संसाधनों की जरूरत थी, मुख्यमंत्री के निर्देश पर उन्हें तुरंत उपलब्ध कराया गया। मुख्यमंत्री रेस्क्यू अभियान की पल-पल की जानकारी लेते रहे। राहत और बचाव कार्यों के लिए जितने भी संसाधनों तथा मैन पॉवर की आवश्यकता थी, मुख्यमंत्री के निर्देश पर उन्हें तत्काल उपलब्ध कराया गया। मुख्यमंत्री के निर्देशन में इतनी बड़ी आपदा तथा व्यापक स्तर पर हुए नुकसान के बावजूद एक सप्ताह से भी कम समय में रेस्क्यू अभियान पूरा हो पाया, यह दर्शाता है कि इसीलिए आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उत्तराखंड को एक आदर्श राज्य के तौर पर पूरे देश में देखा जाता है।
केदारघाटी में अतिवृष्टि के चलते हुए नुकसान, रेस्क्यू एवं बचाव कार्यों, यात्रा को दोबारा शुरू करने को लेकर चल रही तैयारियों की समीक्षा करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मंगलवार को रुद्रप्रयाग पहुंचे। इसके बाद उन्होंने अतिवृष्टि को लेकर संबंधित अधिकारियों तथा कर्मचारियों की समीक्षा बैठक ली। इससे पहले उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि रिकॉर्ड समय में 15 हजार से अधिक यात्री एवं स्थानीय लोगों को हवाई तथा पैदल मार्गों से सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है। अब रेस्क्यू अभियान पूर्ण हो चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा यही प्रयास है कि केदारघाटी में जल्द से जल्द हालात सामान्य हों। उन्होंने बताया कि अतिवृष्टि से 29 स्थानों पर भू-स्खलन की चपेट में आने से पैदल एवं सड़क मार्ग अवरुद्ध हुआ है। पेयजल तथा विद्युत की लाइनों सहित बड़ी संख्या में सरकारी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा। कुछ स्थानों पर दूरसंचार की सेवाएं भी बाधित हुई हैं। जहां भी मार्ग क्षत्रिग्रस्त हैं, उनकी मरम्मत करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है।
इस मौके पर कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार, सचिव लोनिवि पंकज कुमार पांडेय, कमिश्नर गढ़वाल विनय शंकर पांडे, सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन, आईजी गढ़वाल करन सिंह नगन्याल, जिलाधिकारी सौरभ गहरवार, पुलिस अधीक्षक डॉ विशाखा अशोक भदाणे, एनडीआरएफ के कमांडेंट सुदेश दराल, एसडीआरएफ के कमांडेंट मणिकांत मिश्रा आदि मौजूद थे
मुख्यमंत्री ने कहा कि 31 जुलाई को जैसे ही यह घटना घटित हुई, उन्होंने भारत सरकार से यात्रियों को रेस्क्यू करने के लिए वायु सेना के हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। भारत सरकार द्वारा तुरंत चिनूक तथा एमआई-17 हेलीकॉप्टर रेस्क्यू अभियान के लिए उपलब्ध करवा दिए गए। उन्होंने इस रेस्क्यू अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह द्वारा प्रदान किए गए सहयोग के लिए उनका आभार जताया। इसके अलावा 05 स्टेट हेलीकॉप्टरों के माध्यम से भी सैकड़ों यात्रियों का रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
केदारघाटी में आपदा से क्षतिग्रस्त हुए मार्गों को दुरुस्त करने का कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है। मा0 मुख्यमंत्री स्वयं एक-एक कार्य की निगरानी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि केदारघाटी में जल्द से जल्द हालात सामान्य हों और बाबा केदार के भक्त एक बार फिर दर्शन के लिए पहुंचें। मुख्यमंत्री के न निर्देश पर विभिन्न स्थानों में पुनर्निर्माण कार्यों में लगे मजदूरों की संख्या भी बढ़ाई गई है। लोक निर्माण विभाग द्वारा 200 अतिरिक्त मजूदर तैनात किए गए हैं। सिंचाई विभाग के भी करीब दो सौ कर्मचारी बढ़ाए गए हैं। मा0 मुख्यमंत्री ने कहा कि केदारघाटी के लोगों की सभी समस्याओं का समाधान करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है। विभाग जल्द कार्य पूरा कर सकें, इसके लिए अधिप्राप्ति नियमावली में छूट प्रदान की गई है। राहत और निर्माण कार्यों के लिए धनराशि की कमी नहीं होने दी जाएगी। कहीं पर कोई कार्य करने में छूट चाहिए तो वह भी तत्काल दी जाएगी। उन्होंने कहा कि वे स्वयं सभी निर्माण कार्यों की निगरानी करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि रेस्क्यू अभियान में शामिल एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना, पुलिस, डीडीआरएफ, जिला प्रशासन, जीएमवीएन, लोक निर्माण विभाग, विद्युत विभाग, पेयजल विभाग तथा अन्य रेखीय विभागों के कर्मचारियों ने आपसी समन्वय स्थापित करते हुए खोज एवं बचाव कार्यों को त्वरित गति से अंजाम दिया और यही कारण है कि इतनी बड़ी आपदा आने के बावजूद भी त्वरित गति से इतने कम समय में हजारों यात्रियों का सुरक्षित रेस्क्यू करना अपने आप में सराहनीय कार्य है। जो मार्ग क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें भी दुरुस्त करने में जिला प्रशासन द्वारा युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि दिनांक 07 अगस्त, बुधवार से केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवाएं प्रारंभ हो जाएंगी। जो भी श्रद्धालु हेली सेवा के जरिये बाबा केदार के दर्शन के लिए आएंगे, उन्हें व्यवस्थाएं दुरुस्त होने तक सीमित समय के लिए किराए में कतिपय शर्तों एवं प्रतिबंधों के साथ 25 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाएगी। इसकी प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी। इसके अलावा मा0 मुख्यमंत्री ने कहा कि सात दिन में पैदल मार्ग से भी केदारनाथ यात्रा सुचारू हो जाएगी तथा चैमासी से भैरव मंदिर तक के मार्ग को वैकल्पिक मार्ग के रूप में बनाने का कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा से कई परिवारों की आर्थिकी चलती है, इसलिए सरकार का ध्येय है कि जल्द से जल्द यात्रा प्रारंभ हो और पूरा फोकस है कि किस तरह से यात्रा को और अधिक सुरक्षित बनाया जाए।