देहरादून: केदारनाथ मंदिर समिति ने गर्भगृह में प्रवेश पर प्रतिबंध हटा दिया है। जिससे तीर्थयात्री धाम के गर्भगृह के दर्शन का लाभ उठा सकेंगे I केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के दिन तीर्थयात्रियों की भीड़ उमड़ने से गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। अब तक श्रद्धालु सभा मंडप से बाबा केदार के दर्शन कर रहे थे।
केदारनाथ धाम के कपाट छह मई को खुले थे। पहले दिन ही 20 हजार से अधिक तीर्थयात्री बाबा केदार के दर्शन के लिए पहुंचे थे। दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को भारी अव्यवस्थाओं का सामना भी करना पड़ा। भीड़ को नियंत्रित करने और दर्शन में लगने वाले समय को देखते हुए बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया था।
चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या सामान्य होने से शुक्रवार से केदारनाथ धाम में तीर्थयात्रियों के लिए मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पर प्रतिबंध समाप्त कर दिया गया है। अब श्रद्धालु गर्भगृह में जाकर बाबा केदार के दर्शन कर रहे हैं।
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया की इस वर्ष मई व जून माह में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने के कारण गर्भगृह में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। श्रद्धालु सभा मंडप से ही बाबा केदार के दर्शन कर रहे थे। अब संख्या कम होने के बाद श्रद्धालु मंदिर के गर्भगृह में जाकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
इसके अलावा श्रद्धालुओं की संख्या में कमी को देखते हुए मंदिर में दर्शनों के समय में भी परिवर्तन किया गया है। शुक्रवार से केदारनाथ मंदिर में सुबह चार बजे के स्थान पर पांच बजे से धर्म दर्शन शुरू हो रहे हैं। अपराह्न तीन बजे से 4:45 बजे तक भोग-पूजा व सफाई के लिए कपाट बंद किए जा रहे हैं। तथा शाम को श्रृंगार पूजा के पश्चात रात्रि नौ बजे दोबारा कपाट बंद किए जाएंगे। इसी तरह बदरीनाथ धाम में मंदिर में भगवान बदरी विशाल की अभिषेक पूजा सुबह पांच बजे से संपन्न हो रही है। इस दौरान भी तीर्थयात्री धर्म दर्शन कर रहे है। शाम को विभिन्न पूजाओं के पश्चात रात्रि नौ बजे तक कपाट बंद हो रहे हैं।
बीकेटीसी के अध्यक्ष ने बताया कि मंदिर समिति तीर्थयात्रियों को मंदिरों में सरल-सुगम दर्शन के लिए प्रतिबद्ध है। मंदिर समिति के अनुसार कपाट खुलने से अब तक केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में 17.32 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। इसमें बदरीनाथ धाम में 901081 और केदारनाथ धाम 831600 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं।