देहरादून, नीरज कोहली। उत्तराखंड सिख कोआर्डिनेशन कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के राष्ट्रीय सलाहकार सरदार गुरदीप सिंह सहोता ने उत्तराखंड सरकार द्वारा आनंद कारज एक्ट को लागू करने के निर्णंय का पुरजोर स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और बीजेपी प्रदेश संगठन को धन्यवाद् प्रेषित किया है।
विदित हो की वर्ष 1909 में सिक्खों की शादियों के पंजीकरण हेतु आनंद मैरिज एक्ट पास किया गया था जो की वर्ष 2012 में संशोधित आनंद कारज एक्ट के रूप में लोक सभा और राज्य सभा में पास हुआ ,पर तब से कई राज्यों ने न ही इस के नियम बनाये और न ही इसे लागु किया। इस बाबत सिक्खों की कई बार मांग उठती रही। हाल ही में दिसंबर 2022 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को इस बाबत पात्र लिख आनंद कारज एक्ट के नियम निर्धारित कर इसको प्रदेश में लागू करने को कहा। इस बाबत 2022 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने भी प्रदेश सरकार को एक याचिका के निर्णंय उपरान्त आनंद कारज एक्ट लागू करने के निर्देश पारित किये थे।
इसमें प्रदेश सरकार ने दिल्ली, केरल, चंडीगढ़ आदि की नियमावली का अध्यन कर उत्तराखंड के लिए भी नियमावली त्यार की और इसके साथ ही उत्तराखंड देश का 10वा राज्य इस एक्ट को लागु करने वाला हो गया। वर्णनयोग है की बीजेपी शासित असम और उत्तराखंड ने एक ही दिन 3 अगस्त 2023 को एकसाथ इस एक्ट को अपने अपने प्रदेश की कैबिनेट ने पास किया है। श्री सहोता ने बताया की जब प्रदेश में यूनिफार्म सिविल कोड बाबत सुझाव मांगे गए तो सिख कोआर्डिनेशन कमेटी का एक वफद ने प्रदेश सरकार की एक्सपर्ट कमेटी के सदस्यों से जा कर भेंट वार्ता की और आग्रह किया की आनंद कारज एक्ट को यूनिफार्म सिविल कोड से बाहर रखा जाए। प्रदेश सरकार द्वारा इस मसले में दिखाई गयी संवेदनशीलता का सभी सिक्खों को स्वागत करना चाहिए और अभिनन्दन करना चाहिए। प्रदेश में आनद कारज एक्ट के लागू होने से सिक्ख समुदाय की गुरुद्वारों में होने वाली शादियां अब इस एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत हो सकेंगी।