सहयोगियों की संलिप्ता पर कांग्रेसियों का मौन:भट्ट

देहरादून। भाजपा ने महिला अपराध को लेकर कांग्रेस के मौन उपवास को जनता के राजनैतिक उपहास की कोशिश बताया है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा, राज्य में महिला अपराधों पर कठोरतम कार्यवाही हो रही है, लिहाजा यहां तो उनका मौन रहना ही बेहतर है। लेकिन बंगाल, यूपी में महिला अत्याचारों में अपनी एवं सहयोगी पार्टी नेताओं की संलिप्ता पर कांग्रेसियों का मौन उचित नही। अगर, वह कुछ आवाज अपने दिल्ली दरबार में उठाए तो शायद कर्नाटक के अपनी पार्टी नेता की बेटी और महिला प्रवक्ताओं को अपनी ही सरकार में कुछ इंसाफ मिल जाए।
कांग्रेस के मौन उपवास को लेकर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए भट्ट ने कहा कि महिला अपराधों को लेकर वह राज्य में झूठ एवं भ्रम फैलाने की राजनीति कर रही है। क्योंकि प्रदेश की जनता गवाह है कि मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार क्राइम के मुद्दे पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। विशेष कर महिलाओं के साथ अत्याचार की कोई भी जानकारी सामने आई उस पर तत्काल कठोर से कठोर कार्यवाही सुनिश्चित की गई है। जिस दुखद अंकित प्रकरण की बात वह हमेशा उठाते रहते हैं उसमें भी मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर 24 घंटे में अपराधियों की गिरफ्तारी और 48 घंटे में डेड बॉडी रिकवर की गई। गैंगस्टर एक्ट लगाकर और पुख्ता सबूत जुटाकर, न्यायालय में मजबूत पैरवी की जा रही है। हमे विश्वास है कि सलाखों के पीछे सजा का इंतजार कर रहे दोषियों को कठोरतम सजा हम दिलाने में सफल होंगे । जनता और कानून की अदालत में इस घटना को लेकर हुई सभी जांचों और कार्यवाही पर विश्वास जताया गया है बावजूद इसके मुद्दा विहीन एवं विचारहीन कांग्रेस नेता इसको लगातार राजनीति का मुद्दा बनाए हुए हैं। इसके अतिरिक्त रुद्रपुर में दर्ज बेटी के साथ में हुए अपराध में भी पुलिस ने घटनास्थल राज्य के बाहर होने के बावजूद सभी आरोपियों को राजस्थान से गिरफ्तार किया है। इसी तरह आईएसबीटी में हुई दरिंदगी के हैवानों को भी पुलिस ने तत्काल सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है।
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि कांग्रेस नेताओं को इन घटनाओं में की गई त्वरित एवं कठोरतम कार्यवाही दिखाई नही देती है । लेकिन सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए विपक्ष सरकार की संवेदनशीलता और गंभीरता को नजरंदाज कर रहा है। साथ ही पलटवार किया कि यदि वे सही मायने में महिला अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाना चाहते हैं तो उन्हें कलकत्ता में महिला चिकित्सक की नृसंस हत्या के खिलाफ अपनी इंडी सहयोगी सरकार के खिलाफ मौन नही रहना चाहिए। उन्हें यूपी में अयोध्या एवं कन्नौज की घटना में अपनी सहयोगी पार्टी के नेताओं की संलिप्तता पर सार्वजनिक विरोध दर्ज करना चाहिए। हालांकि हमेशा से महिला विरोधी रही कांग्रेस को महिला अत्याचारों पर बोलने का नैतिक अधिकार ही नहीं है । फिर भी यदि वे सही मायने में कोशिश करें तो शायद कर्नाटक में अपनी ही सरकार में अपने ही नेता की बेटी के हत्यारे को सजा दिलाने में भी सफल होंगे। शायद असम में अपनी ही पार्टी की नेत्री को अपनी पार्टी के युवा मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा शोषण केस में मदद दिला सकेंगे। और शायद अपनी महिला राष्ट्रीय प्रवक्ता को पार्टी छोड़ने पर मजबूर करने वाले, अपराधी नेताओं को सजा दिलाने में कामयाब होंगे। फिर भी यदि उनके स्थानीय नेताओं को राजनीति ही करनी है तो मौन रहने की नही, अपने आलाकमान से सवाल पूछने की जरूरत है । उन्हें पूछना चाहिए कि प्रियंका गांधी के अलावा, वो कौन से लड़की है जिसके लिए कांग्रेस पार्टी लड़ सकती है ।