देहरादून, नीरज कोहली। भारतीय जनता पार्टी नेता एवं पूर्व दर्जाधारी मन्त्री विवेकानंद खंडूरी ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री को एक पत्र प्रेषित किया है। अपने पत्र में उन्होने देहरादून,गढ़वाल और हरिद्वार के दस राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों की संबद्धता हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी, श्रीनगर गढ़वाल से यथावत रखने की गुहार लगायी है।. खंडूरी ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री को अवगत कराया कि, यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने देहरादून के ख्यातिप्राप्त डीएवी पीजी कॉलेज,डीबीएस कालेज, श्री गुरु राम राय डिग्री कॉलेज, एमकेपी कालेज, डीडब्ल्यूटी कॉलेज, एमपीजी कॉलेज मसूरी,पौड़ी गढ़वाल का पैठाणी डिग्री कॉलेज, हरिद्वार सतीकुंड कालेज और बीएसएम कॉलेज रुड़की के दस राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों की संबद्धता हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी श्रीनगर गढ़वाल से शैक्षणिक सत्र 2023-2024 से समाप्त कर दी है। इन सभी कॉलेजों को श्री देव सुमन यूनिवर्सिटी से संबद्धता लेने के आदेश दिए हैं। उन्होने कहा कि जबकि असंबद्ध किए गए कुछ महाविद्यालयों का इन्फ्रास्ट्रक्चर श्री देव सुमन यूनिवर्सिटी के इन्फ्रास्ट्रक्चर से भी बेहतर है। इसके अलावा श्री देव सुमन यूनिवर्सिटी में लॉ फैकेल्टी और अन्य कई फैकल्टीज नहीं हैं।
उन्होंने अपने पत्र में कहा कि यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल का यह निर्णय, उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड द्वारा 16 नवंबर 2021 को पारित आदेश का उल्लघंन एवं अवमानना है।. इस आदेश के तहत उच्च न्यायालय ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी द्वारा तय किये गये महाविद्यालयों को असंबद्ध करने की पूरी प्रक्रिया को अमान्य कर दिया था। पत्र मे कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश पारित किया है कि महाविद्यालयों की संबद्धता हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के साथ यथावत रहेगी।
उच्च न्यायालय द्वारा असंबद्धता के संदर्भ में यह आदेश दिया है कि,यूजीसी विश्वविद्यालयों द्वारा महाविद्यालयों की संबद्धता विनियमन 2009 का पालन किया जाए। जिसमें यह प्रावधान है कि यदि कोई महाविद्यालय अनुशासनहीनता में संलिप्त पाया जाए तब उसके विरुद्ध कार्यवाही यूजीसी विश्वविद्यालयों द्वारा महाविद्यालय की संबद्धता विनियमन 2009 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार की जा सकती है परंतु उसमें भी महाविद्यालयों को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा।
उन्होने हैरानी जताते हुए पत्र में कहा कि एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने विश्व विद्यालय को निर्देश दिया कि, शैक्षणिक सत्र 2023-24 से इन कॉलेजों की मान्यता खत्म की जाए। जबकि उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से यह आदेश दिया है कि महाविद्यालयों की संबद्धता को असंबद्ध करने का निर्णय न तो केंद्र सरकार और न ही उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा। खन्डूरी ने कहा कि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल द्वारा लिया गया यह निर्णय पूरी तरह से उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय की अवहेलना है और निःसंदेह न्यायालय की अवमानना भी है। उन्हांेने अपने पत्र में कहा कि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि से दस सहायता प्राप्त अशासकीय कालेजों को असंबद्ध करने से शैक्षणिक व्यवस्था चरमरा गई है। जिससे हजारों छात्रों का भविष्य अधर में फंस गया है। एग्जीक्यूटिव काउंसिल के तुगलकी फरमान से प्रभावित छात्रों, कालेज प्रशासन एडवोकेट्स बार एसोसिएशन एवं अभिभावकों में भारी आक्रोश है। खंडूरी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की उपरोक्त दस राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय कालेजों की संबद्धता सेंट्रल यूनिवर्सिटी से समाप्त किए जाने की संस्तुति को छात्रहित में निरस्त कर पूर्व की व्यवस्था को जारी रखने का अनुरोध किया है।