देहरादून, नीरज कोहली। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना के कार्य व्यवहार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना द्वारा महिला संगठन के एक व्हाट्सएप ग्रुप में बीते रोज एक पोस्ट डाली गई है जिसमें वह हिंदू धर्म की रक्षा के लिए किसी शाश्वत संगठन की बात कर रही थी और उस संगठन के लिए सभी महिलाओं से 21000₹ या ज्यादा धनराशि चंदे के रूप में देने की मांग कर रही हैं। इतना ही नहीं लेन-देन का सबूत देने के लिए भी महिलाओं पर दबाव बनाया गया है।
इस मामले का गंभीर संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष करन महारा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की है कि हमारा देश संविधान से चलता है और संविधान में आयोग और आयोग के अध्यक्षों की बहुत ही गरिमामयी भूमिका अंकित है। माहरा ने कहा कि भारत देश लोकतांत्रिक होते हुए एक धर्मनिरपेक्ष देश भी है जहां सभी जाति धर्म समुदाय वर्ग तथा पंथ के लोग गुलदस्ते की भांति सौहार्दपूर्ण वातावरण में रहते हैं, ऐसे में उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने अपने पद की गरिमा को तार-तार करते हुए तथाकथित रूप से धर्म विशेष की रक्षा की आड़ लेते हुए जिस तरह से चंदा उगाही के लिए व्हाट्सएप ग्रुप में पोस्ट डाली है और सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी कर लिया है कि यह पोस्ट उनके द्वारा ही डाली गई थी।
करन माहरा ने कहा कि उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना को संवैधानिक पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि गीता खन्ना ने अपनी इस पोस्ट से लोगों की भावनाएं आहत की हैं जिसका उन्हें कोई अधिकार नहीं है और यदि बात नियमों की की जाए तो उन्होंने आयोग के अध्यक्ष पद के नियम का भी उल्लंघन किया है। उन्होंने महामहिम राज्यपाल से मांग की है कि उपरोक्त प्रकरण के मद्देनजर गीता खन्ना को तत्काल रुप से बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया जाए।