देहरादून। मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति की बैठक में गुरुवार को कई अहम प्रस्ताव पारित किए गए। बैठक में पचास से अधिक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे। इस मौके पर आंदोलन की अग्रिम रणनीति पर चर्चा की गई। बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति की टीम राज्य आंदोलन में शहीद हुए आंदोलनकारियों और उत्तराखंड की महान विभूतियों के गांव जाकर उनके आंगन की मिट्टी को कलश में एकत्रित कर शहीद स्मारक लाएगी। जिस दिन हमारी मांगें पूरी होंगी, उस दिन हरिद्वार गंगा में कलश विसर्जित किया जाएगा। इसके अलावा ड्राफ्टिंग कमेटी, प्रचार-प्रसार समिति और वित्त नियंत्रण कमेटी के गठन का प्रस्ताव पारित किया गया। संगठन को मजबूत करने के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर कमेटियों का गठन करने पर सहमति बनी।
इसके साथ ही 15 जनवरी को बागेश्वर के सरयू नदी में स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रवाहित किये जायेंगे। इसके साथ ही भू कानून की प्रतियां फाड़ी जायेंगी और इन्हें भी सरयू नदी में प्रवाहित किया जाएगा। इसके बाद 28 जनवरी को हल्द्वानी में एक विशाल मूल निवास स्वाभिमान महारैली करने का प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक में मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि लड़ाई लंबी है। हमें आपस में नहीं व्यवस्था के खिलाफ लड़ना है। हरेक व्यक्ति को मूल निवास और सशक्त भू कानून के आंदोलन से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की जनता एक बड़े आंदोलन की ओर बढ़ रही है। सरकार को जन भावनाओं का सम्मान करते हुए मांगें मान लेनी चाहिए।
संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा कि युवाओं और महिलाओं को आंदोलन से जोड़ा जा रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों में भी लोगों से संपर्क कर आंदोलन को गति दी जा रही है। इसके साथ ही विदेशों में रह रहे अप्रवासी भी आंदोलन से जुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपने स्वाभिमान और अस्तित्व की इस लड़ाई में हरेक उत्तराखंडी साथ खड़ा है।
इस मौके पर पहाड़ी स्वाभिमान सेना के संरक्षक आशुतोष नेगी ने कहा कि हमारे अनुसूचित जाति के लोगों को मूल निवास का सबसे अधिक लाभ मिलेगा। उनके हक को भी बाहर के लोग मार रहे हैं। गांव-गांव तक इस अभियान को ले जाना जरूरी है। इसके साथ अंकिता हत्याकांड को प्रखर रूप से उठाये जाने पर सरकार द्वारा उनका उत्पीड़न किये जाने का समिति ने घोर भर्त्सना की और निंदा प्रस्ताव पारित किया। बैठक में भू कानून के ड्राफ्ट में चकबंदी के प्रावधान को भी शामिल करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ। संयुक्त आंदोलनकारी मंच के क्रांति कुकरेती ने अपने संबोधन में जोशीमठ की महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा कि जब हमारी मातृ शक्ति को अपने जंगल से घास लाने पर पुलिस पकड़ रही हो तो फिर आंदोलनकारियों ने किस के लिऐ यह राज्य बनाया। कृषक बागवान उद्यमी संगठन के महामंत्री दीपक करगेती एवं समन्वय समिति के सदस्य दीपक ढोंडियाल ने चकबंदी लागू करने पर जोर दिया और कहा कि जमीन प्रबंधन के मिस मैनेजमेंट से आम लोगों को नुकसान हो रहा है। वरिष्ठ पत्रकार गजेंद्र रावत ने कहा कि जल, जंगल, जमीन और अन्य तरह के सभी संसाधनों पर मूल निवासियों का पहला हक होना चाहिए। सीमांत गांवों का खाली होना सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक है। राज्य आन्दोलनकारी जयदीप सकलानी ने कहा कि समान नागरिक संहिता के बहाने इस आन्दोलन को कमजोर करने की साजिश की जा रही है। इन्वेस्टमेंट के नाम पर सिर्फ एमओयू साइन हो रहे हैं। स्थानीय लोगों को कहीं कोई रोजगार नहीं मिल रहा।
भैरव सेना के अध्यक्ष संदीप खत्री ने कहा कि आपसी मतभेद भुलाकर सभी को इस लड़ाई में भाग लेना चाहिए। यह लड़ाई सभी की है।
इस मौके पर युवा अनूप बजवाल, रोशन सिंह, आशीष नौटियाल, अक्षय शर्मा, बिजेंद्र सिंह ने कहा कि फर्जी स्थाई निवास बनने से मूल निवासियों को नुकसान हुआ है। बाहर से लाखों लोग उत्तराखंड आ रहे हैं। यही हाल रहा तो एक दिन मूल निवासी अल्पसंख्यक हो जायेंगे। यही सबसे बड़ी चिंता की बात है। बैठक में मौजूद लोगों में प्रमुख रुप से गढ़वाल महासभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना,अखिल गढ़वाल सभा, महिला मंच से निर्मला बिष्ट, क्रांति कुकरेती, राज्य आन्दोलनकारी संयोजक उत्तराखण्ड सँयुक्त आंदोलनकारी मंच, अम्बुज शर्मा, जयदीप सकलानी, सतीश धौलाखण्डी जनसंवाद से, तन्मय, बेंजवाल, अनूप सिंह बेंजवाल, सचिन खन्ना साया, पूजा चमोली 1 यूके, उमेश सती, रजनीकांत सेमवाल उत्तराखण्ड चारधाम महापंचायत से, शिव प्रसाद सेमवाल पर्वतजन फाउंडेशन से, कुलानंद घनसाला राठ जनविकास समिति से, रमेन्द्र कोटनाला अखिल गढ़वाल सभा,ऑटो यूनियन के महामंत्री मानिन्द्र बिष्ट, गौरव सेनानी के अध्यक्ष महावीर राणा, सेवानिवृत्त कर्मचारी आरआर पैन्यूली, चारधाम महापंचायत से रजनीकांत सेमवाल, धाद संस्था से अर्चना ग्वाड़ी, संगीता सेमवाल धाद से, बीएस भंडारी, टीएस नेगी उत्तराखण्ड समानता मंच से,रमेश दत्त रतूड़ी, सतीश धस्माना, विपिन नेगी, रघुबीर सिंह राणा, नागेंद्र, गिरीश जोशी,प्रभात डंडरियाल नेताजी समिति,वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी विश्वेश्वर दत्त बौठियाल, नवनीत गुसाईं, मनोज ध्यानी, सरिता जुयाल, राज्य आन्दोलनकारी महेश गौड़, एलपी रतूड़ी, सुदेश कुमार, चिंतन सकलानी, महेश गौड़, सूर्यकांत भट्ट,जगमोहन सिंह रावत, पुरषोत्तम शाह आदि कई संगठनों के लोग मौजूद थे।