देहरादून। हम गैरसैंण को राज्य की स्थाई राजधानी बनाना चाहते थे, लेकिन कुछ लोगों द्वारा उन्हें ऐसा करने से रोका गया। यह बात सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा कही गई। उनका कहना है कि अगर उन्हें नहीं रोका गया होता तो गैरसैंण बहुत पहले राज्य की स्थाई राजधानी बन गई होती। उनसे जब यह पूछा गया कि क्या आप उन लोगों के नाम बताएंगे जिन्होंने उन्हें स्थाई राजधानी बनाने से रोका। तो उन्होंने कहा कि वही सब लोग थे जो बहुगुणा के नेतृत्व में 2016 में कांग्रेस की सरकार को गिराने के लिए भाजपा में गए और राज्य में जिन्होंने राष्ट्रपति शासन लगवाया था। उन्होंने कहा कि स्व. इंदिरा हृदयेश और प्रीतम सिंह को इसके प्रस्ताव लाने की बात थी।
हरीश रावत से जब यह पूछा गया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया तो पूर्व मुख्यमंत्री ने इसके बारे में कहा कि 2016 में उनकी सरकार जिस तरह से काम कर रही थी उसे कुछ लोग पचा नहीं पा रहे थे। उन्हें ऐसा लग रहा था कि हरीश के आने से उनका कद कम हो रहा है। बाकी और भी कई कारण है जिनकी वजह से इन लोगों ने एक चुनी हुई सरकार को गिराने का प्रयास किया था। उन्हें शायद भाजपा के साथ जाने में अपना भविष्य और अधिक बेहतर दिखाई दे रहा था। उन्होंने कहा कि उस समय अगर गैरसैंण को स्थाई राजधानी बना दिया गया होता तो भाजपा के पास यह मौका होता ही नहीं की गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर पाती। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भले ही अब उनका भविष्य में चुनाव लड़ने का भी कोई इरादा नहीं है, लेकिन अगर कांग्रेस की अगली सरकार बनती है तो गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाया जाएगा।